Tuesday, 18 April 2023

 तीसवां पारा (पार्ट 2) 


18. सूरह तीन:

 यह सूरह इंसान की सूरत और सीरत से संबंधित है, अल्लाह ने चीज़ों और जगहों कि क़सम खाकर फरमाया है कि इंसान को सबसे बेहतरीन शक्ल ओ सूरत में बनाया गया है, लेकिन सफलता का पैमाना ईमान और नेक आमाल ही हैं।


19. सूरह अल-अलक़:

 इस सूरत की पहली पांच आयात रसूलुल्लाह ﷺ पर पहली वली में गारे हिरा में नाज़िल हुई थी, अल्लाह के एहसान (इंसान की तखलीक़, क़िराअत और किताबत के ज़रिए तमाम मख़लूक़ात पर फज़ीलत का ज़िक्र) , अबू जहल की मजम्मत


20. सूरह क़द्र:

 लैलतुल-क़द्र की फज़ीलत यह है कि उस रात क़ुरआन नाज़िल हुआ, यह रात हज़ार महीनों से बेहतर है, उस पर रहमत के फ़रिश्ते उतरते हैं, यह रात सुकून वाली है, सुबह तक रहती है।


21. सूरह बय्यिनह:

 इस सूरह में नबुव्वत, ईखलास की दावत (कोई अमल बगैर ईमान के और ईमान के बगैर इखलास के मोअतबर नहीं) और नेक कामों के अंजाम यानी अच्छी जन्नत मिलने का ज़िक्र है।


22. सूरह ज़िलज़ाल:

 क़यामत और खौफनाक ज़लज़ले का ज़िक्र कि उस दिन ज़मीन सब उगल दोगी , नेकी हो या बदी सब ज़ाहिर हो जाएगी 


23. सूरह अल-अदियात:

 इंसान में दो खराबियां हैं, नाशुक्री और माल की हिर्स


24. सूरह अलक़ारिया:

 क़यामक की हौलनाकी का ज़िक्र , भारी आमाल पर जन्नत और हल्के आमाल पर अज़ाब


25. सूरा तकासुर:

 दुनिया में पड़ कर आखिरत की ज़िन्दगी भूल जाने की मजम्मत , माल ओ दौलत की कसरत इंसान को हराकर में डाल देती है 


26. सूरा अस्र:

 सभी इंसान खसारे (घाटे) में हैं, सिवाय उनके जिनमें चार गुण हैं: ईमान, नेक आमाल, हक़ की तलक़ीन और सब्र, इमाम शाफ़ई इसके ज़िमन में कहते हैं कि अगर पूरा क़ुरआन नाज़िल न होता तो भी सिर्फ ये सूरत इंसानों की हिदायत के लिए काफी थी


27. सूरा हुमज़ह:

 मुंह पर बुरा भला कहने वाले, चुगली करने वाले , माल ओ दौलत समेट समेट कर रखने वालों के लिए हलाकत की वईद है और ये लोग जहन्नुम के ईंधन बनेगे


28. सूरा फील:

 असहाब ए फ़ील के वाक़्ये का ज़िक्र जिसमें पक्षियों के झुंड ने काबा पर चढ़ने वाले हाथियों की सेना पर मिट्टी के पत्थर फेंके, जिससे अल्लाह ने उन्हें भूसे की तरह बना दिया।


29. सूरा क़ुरैश:

 कुरैश पर अल्लाह के दो बड़े एहसान (उपकार) , यात्रा में आसानी और खौफ़ से अमन 


30. सूरह अलमाऊन:

 बखील कुफ्फार और रोजे जज़ा को झुठलाने वाले, नमाज़ में लापरवाही करने वाले, दिखावा करने वाले और छोटी सी चीज़ देने से मना करने वालों (मिस्कीनों को खाना नहीं खिलाने वाले) की मजम्मत


31. सूरा कौसर:

 कौसर का इनाम, नमाज़ और क़ुर्बानी का हुक्म, रसूल  ﷺ के दुश्मन की ज़िल्लत और रुसवाई का ऐलान।


32. सूरा काफिरुन:

 इस सूरा में मुसलमानों को सिखाया गया है कि गैर-मुस्लिमों के साथ कोई भी मेल-मिलाप जायज़ नहीं है जिसमें उन्हें अपनके दीन (धर्म) के सेआर (संस्कारों) को अपनाना पड़े, लेकिन अपने दीन पर अड़िग रहते हुए शांति समझौता किया जा सकता है।


33. सूरा नस्र:

 तकमील ए दीन का ऐलान, अल्लाह की मदद की बशारत , और मदद आ जाने पर तसबीह और अस्तगफ़ार का हुक्म 


34. सूरह लहब:

 अबू लहब और उसकी पत्नी अल्लाह के रसूल को चोट पहुँचाते थे, इस सूरत में उन दोनों की बर्बादी का ज़िक्र है 


35. सूरह इख़लास:

 काफिरों ने नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से मुतालबा किया कि वो अपने माबूद का हसब नसब बयान करें इसलिए यह सूरत उतरी जिसमें अल्लाह ने कहा है कि अल्लाह हर तरह से एक है, वह बेनियाज़ है, वह किसी का मोहताज नहीं है, न उसकी कोई सन्तान है, न वह किसी का सन्तान है और न ही उसका कोई सम्बन्धी है।


36. सूरा फलक़:

 खुसूसन चार चीज़ों के शर से अल्लाह की पनाह मांगो  (मख़लूक़ से शर से, अंधकार से, फूंके मारने वालियों के शर से और हासिद को शर से जब वह हसद करे 


37. सूरह नास:

 इंसानों के पालनहार, मअबूद और बादशाहत की पनाह मांगो वनवास डालने वाले जिन्नों और इंसानों से 

कुछ यहूदियों ने रसूलुल्लाह ﷺ पर जादू करने की कोशिश की, इसका कुछ प्रभाव उन पर भी दिखाई भी दिया अल्लाह ने जादू वगैर शुरूर से पनाह मांगने के लिए ये आखिरी दो सूरतें नाज़िल कीं इन सूरतों को मऊज़तैन भी कहा जाता है

 तीसवां पारा (पार्ट 1) 


 इस पारे में सबसे ज़्यादा 37 सूरतें हैं:


1. सूरह अल-नबा: क़यामत का यक़ीनी होना, अल्लाह की क़ुदरत, जन्नत और जहन्नम का ज़िक्र


2. सूरह नज़िआत:

 क़यामत के अहवाल कि पहले सूर के नतीजे में सब मर जाएंगे,फिर जब दूसरा सूर फूंका जाएगा तो सब ज़िन्दा होकर मैदान ए हश्र में जमा हो जाएंगे 

हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम को नबुव्वत मिलने, फिरऔन की सरकशी और उसकी हलाकत का ज़िक्र


3. सूरह अबस:

 इस सूरा में तालिब ए इस्लाह पर तवज्जो देने का हुक्म आप ﷺ को दिया गया, इसके अलावा कुरान की अज़मत, इंसान का नाशुक्रापन और क़यामत के दिन का ज़िक्र कि उस दिन ईमान वालों के चेहरे रौशन होंगे और काफिरों के चेहरे स्याह होंगे


4. सूरह तकवीर:

 क़यामक कि ज़िक्र की उस दिन कोई चीज़ महफ़ूज नहीं रहेगी सब चीज़ें रेत के घरौंदे के समान होंगी, लड़कियों को जिंदा दफन किए जाने का ज़िक्र, कुरान की हक़्क़ानियत (सत्यता) , पैगम्बर अलैहिस्सलाम की हक़्क़ानियत (सत्यता) 


5. सूरह इंफ्तार:

 क़यामत का ज़िक्र करके इंसानों से शिकवा कि किस चीज़ ने तुझे अपने रब से धोके में डाल दिया है, इंसान की तक़लीफ़ का ज़िक्र


6. सूरह मुतफ्फिफीन:

 नाप तौल में कमी करने वालों की मज़म्मत, क़यामत का तज़किरह पुनरुत्थान का उल्लेख, जन्नत की नेमतों का बयान


7. सूरह इंशक़ाक़:

 क़यामत के दिन आसमान फट पड़ने का ज़िक्र, नामा ए आमाल दाएं और बाएं में मिलने का ज़िक्र


8. सूरह बुरुज:

 असहाबुल उखदूद का क़िस्सा, अल्लाह की पकड़ बहुत सख्त है


9. सूरह तारिक़:

 इंसानों पर निगेहबान फरिशतों का ज़िक्र, इंसान को अपनी बनावट पर गौर करने का ज़िक्र, कुफ्फार को ढ़ील देने का ज़िक्र और आखिरकार उनकी सख्त पकड़ का ज़िक्र


10. सूरह अल-आला:

 अल्लाह की तस्बीह व तहमीद और सिफ़ात का ज़िक्र, कामयाब और नाकाम होने वालों का बयान


11. सूरह गाशियह:

 गाशियह यानी ढ़ांप लेने वाली कयामत का नाम है , जन्नतियों और जहन्नमियों के अहवाल का बयान, अल्लाह की क़ुदरत, ऊंट, आसमान, पहाड़ों और ज़मीन की पैदाइश पर गौर करने की दावत 


12. सूरह फज्र:

 फज्र के वक़्त, दस रातें और जब रात जाने लगे गवाह हैं पिछले पैगम्बरों और उनकी क़ौमों के क़िस्से, सब्र व शुक्र की तरगीब, बुराइयों में मुब्तिला होकर इंसान ज़मीन पर फैसला फैलाता है और जहन्नुम का ईंधन बनता है


13. सूरह बलद:

 चंद क़समों को सबूत के तौर पर पेश करके कहा है कि इंसान की आराम और राहत शरियत की ज़िन्दगी में है , अल्लाह ने इंसान को मिली कुछ नेमतों को गिनवाकर ईमान वालों के अंजाम ए खैर और कुफ्फार के अंजाम ए बद का तज़किरह किया है , 


14. सूरह शम्स:

 अल्लाह की क़ुदरत सूरज, चांद, दिन रात, आसमान, ज़मीन की क़सम खाकर फरमाया कि इंसान अगर रब से डरे और अपना तज़किया करे तो कामयाब है वरना नाकाम जिस तरह क़ौम ए समूद ने नाफरमानी की हलाक हुई 


15. सूरह लैल:

 मुत्तक़ी, परहेज़गार, सखी और अल्लाह की राह में खर्च करने वाले इंसान की तारीफ़ और बखील (कंजूस) इंसान की मजम्मत 


16. सूरह ज़ुहा:

 इस सूरह का विषय ज़ात ए नबी ﷺ है, कि अल्लाह तआला ने आपको छोड़ा नहीं, आपका भविष्य हाल (वर्तमान) से बेहतर होगा, आप तअलीम ए दीन से बेखबर और तंग दस्त थे, अल्लाह ने रहनुमाई की, इसलिए यतीम (अनाथ) पर कठोर मत बनिए , साइल को झिड़किये नहीं और अल्लाह की नेमतों का बयान करिए


17. सूरा अंशराह:

 पैगम्बर ﷺ की महदत (स्तुति), आप का सीना खोल दिया गया और आपका ज़िक्र बुलंद कर दिया गया, एक मुश्किल के बाद दो आसानी आती हैं, शुक्र, इबादत और अल्लाह की तरफ रगबत


Muhammad Yasir

Wednesday, 12 April 2023

 उन्तीसवां पारा 


इस पारे में कुल 11 सूरह हैं


 ❶ सूरह मुल्क

 • तौहीद का असबात (हर चीज़ ख़ालिक व मलिक अल्लाह है) 

 • क़यामत को झुठलाने वालों का दर्दनाक अंजाम


 ❷ सूरह क़लम

 • बाग वालों का वाक़्या कि जिनका बाग गुरबा व मसाकीन के हुक़ूक़ की अदायगी न करने पर बाग आग की नज़र हो गया 

 • पैगमबर ﷺ के अख़लाक़ ए आली का बयान , और मुखालिफीन की अख्लाक़ी पस्ती का बयान 


 ❸ सूरह अल-हक़्क़ा

 • मुख्तलिफ़ क़ौमों का अज़ाब में गिरफ्तार होने का बयान

 • कयामत के दिन की घटना का ज़िक्र और अच्छे लोगों की जन्नत में प्रवेश और बुरे लोगों का नरक में प्रवेश के कारणों का बयान

• बदबख्तों की दो अलामत कि वो अल्लाह पर ईमान नहीं रखते और मिस्कीनों को खिलाने की तरगीब नहीं देते

• रसूलुल्लाह ﷺ और क़ुरआन की सदाक़त कि ये किसी काहीन या शायर का कलाम नहीं है


 ❹ सूरह अल-मआरिज

 • क़याम की घटना के तरीके का बयान कि क्या क्या होगा

 • इंसानों की कुछ गुणों का बयान

 • जन्नतियों की सिफत का बयान

 • रसूलुल्लाह ﷺ को तसल्ली


 ❺ सूरा नूह

 • नूह अलैहिस्सलाम की लम्बे समय तक गबलीग और उसके तरीके का बयान

 इस्तग़फ़ार के फ़ायदे बताए कि बारिश होगी, दौलत में इज़ाफ़ा होगा, औलाद मिलेगी, नहरें और बाग़- हासिल होगी।

 • वद, सवाअ, यगूस, यऊक और नस्र की बुत (मूर्तियों) का बयान कि नूह अलैहिस्सलाम की क़ौम ने कहा कि हम उन्हें छोड़ नहीं सकते

• नूह अलैहिस्सलाम की दुआ رَبِّ اغْفِرْ لِي وَلِوَالِدَيَّ وَلِمَنْ دَخَلَ 

بَيْتِيَ مُؤْمِنًا وَلِلْمُؤْمِنِينَ وَالْمُؤْمِنَاتِ وَلَا تَزِدِ الظَّالِمِينَ إِلَّا تَبَارًا


 ❻ सूरह अल-जिन्न

 • पवित्र पैगम्बर ﷺ नखला घाटी में गए और नमाज़ और क़ुरआन की तिलावत की जिसे जिन्नों ने सुना और ईमान ले आए और अपनी क़ौम को जाकर दावत दी 

 • मस्जिदें सिर्फ अल्लाह की इबादत के लिए होती हैं और उनमें किसी और को नहीं पुकारा जाएगा 

• अल्लाह ने रसूलुल्लाह ﷺ को हुक्म दिया कि कह दीजिए कि मैं अपने रब को पुकारता हूं, उसके साथ शरीक नहीं ठहराता, तुम्हारा कोई नफ़ा और नुकसान मेरे हाथ में नहीं


 ❼ सूरह अल-मुजम्मिल

 • नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की इबादत की स्थिति बयान की गई है कि वह पूरी रात इबादत करते थे, इसलिए उन्हें पूरी रात इबादत न करने से मना किया गया 

• तहज्जुद और अल्लाह को ज़िक्र का हुक्म 

 • क़ुरआन को जहां से सहूलत हो पढ़ने का हुक्म, नमाज़, ज़कात और इस्तेगफार का हुक्म


❽सूरह मुदस्सिर

 • नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को तबलीग का हुक्म और अल्लाह की किब्रियाई बयान करने का हुक्म 

 • जो लोग नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) का अनुसरण करने से इनकार करते हैं, वे जहन्नुम के ईंधन बनेंगे और फिर जहन्नुम के कुछ सिफात का बयान किया गया है।

 • जन्नत और जहन्नुम वालों के बीच मुकालमा और जहन्नम में दाखिल होने की वजहें: हम इबादत करने वाले नहीं थे, हम मिस्कीनों को खाना नहीं खिलाते थे, हम गप हांका करते थे और कयामत के दिन को झुठलाते थे।


 ❾सूरह अल क़ियामा

 • जब क़यानत क़ायम होगी तो इंसान चकित होगा और कहेगा, اين المفر "मैं कहाँ भाग कर जाऊं?" परन्तु कोई भी ऐसा नहीं है जो भाग सके, और कोई भी नहीं जो रब पकड़ से बच सके।

 • क़ुरआन की हिफाज़त का ज़िम्मा

 • क़यामत के दिन बहुतों के चेहरों पर ताजगी आएगी और वे अपने रब की तरफ़ देखेंगे और बहुतों के चेहरे मुरझा जाएँगे।


 ⑩सूरह दहर

 • तकलीक़ ए इंसान (इंसानों के लिए एक समय ऐसा भी आया है कि जब वे कुछ भी नहीं थे तो अल्लाह ने उन्हें हयात दी) 

 • जन्नत में मिलने वाली नेअमतों का ज़िक्र

 • शुक्रगुज़ार और नाशुक्रे इंसानो का ज़िक्र 

 • नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को तकलीफ़ों का सामना करने में सब्र करने की नसीहत दी गई है और हुक्म दिया गया है कि सुबह और शाम ख़ुदा की याद में मशगूल रहें।


 ❶❶ सूरा मुरसिलात

 1- क़यामत के दिन का बयान और उसके घटित होने के समय आसमान, पहाड़ों और तारों की क्या हालत होगी उसका ज़िक्र 

 • इस सूरह में अल्लाह ने 11 बार क़यामत को झुठलाने वालों के लिए हलाकत का ऐलान किया है

Tuesday, 11 April 2023

 अठ्ठाइसवां पारा


इसमें कुल 9 सूरह हैं


 ❶ सूरह मुजादिलह

 खौला बिन्त सअलबा रज़ि के पति ने उनसे ज़हार कर लिया जिसका अर्थ है कि यह वो अपने पति के लिए हराम हो गईं, खौला परेशान हो गईं कि अब क्या होगा चुनांते नबी ए करीम ﷺ के पास आईं और फरियाद पेश की और बार बार पेश की और हर बार रसूलुल्लाह ﷺ  कहते रहे कि तुम अपने पति के लिए हराम हो गई हो। अंत में उन्होंने अपना सिर अल्लाह की ओर उठाया, तो अल्लाह ने लब्बैक कहा और रसूलुल्लाह ﷺ पर ये सूरत नाज़िल की जिसमें ज़हार के कफ्फारे का बयान है... 

2. फित्ना व फ़साद की मज़म्मत और तक़वा की तरगीब

3. मुनाफिकीन की मज़म्मत


 ❷ सूरह हश्र

 ¤ जब बनुनज़ीर के ज़िलावतनी के हालात बताकर अल्लाह की क़ुदरत का बयान 

 ¤ माल ए गनीमत के अहकाम

 ¤ मुहाज़िरीन व अंसार का तज़किरह


 ❸ सूरह मुमतहिना

 इस सूरा में बहुत सी बातें हैं

 ¤ मुसलमानों को चेतावनी दी गई है कि वे इस्लाम के दुश्मनों से दोस्ती न करें क्योंकि वे हमेशा इस्लाम को चोट पहुँचाते हैं।

 ¤ जब महिलाएं हिजरत करके मदीना आईं तो नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को हुक्म हुआ कि आप उनसे क़सम लें कि वे शिर्क नहीं करेंगी, चोरी नहीं करेंगी, ज़िना नहीं करेंगी और अपने बच्चों को क़त्ल नहीं करेंगी। 


 ❹ सूरह सफ़

 ¤ वह तिजारत जिससे दुनिया व आखिरत का नफा हो

 ¤ जिहाद करने वाले अल्लाह की नजर में महबूब हैं

 ¤ कोई कितना भी ताकत लगा ले खुदा यानी इस्लाम की रौशनी को मिटाया नहीं जा सकता


 ❺ सूरह जुमआ

 ¤ जुमे की फर्जीयत व आदाब


❻ सूरह अल-मुनाफ़िक़ुन

 मुनाफिकीन की मज़म्मत, और नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम और उनके साथियों को उनकी चालों से सावधान रहने का हुक्म दिया गया

 ¤ ईमान वालों को चेतावनी दी गई है कि ये माल और औलाद तुम्हारी बर्बादी का सबब न बनें


 ❼ सूरह तगाबुन

 क़यामत के दिन जन्नत में रहते हुए इस तरह से गबन करेंगे कि जो जहन्नम में गए उनके लिए भी जन्नत में घर बनेंगे और जन्नती उसपर कब्ज़ा कर लेंगे इसलिए इस दिन का एक नाम है यौमुलउल तगाबीन


 ❽ सूरह तलाक़

 ¤ तलाक के बाज़ मसाइल का बयान

 ¤ अलग-अलग तरह की औरतों की इद्दत यानी नाबालिग और आएसा की इद्दत तीन महीने की, गर्भवती औरत की इद्दत वगैरह

 ¤ नेक लोगों को परेशानी से राहत मिलेगी, उन्हें बेहिसाब रिज़्क़ मिलेगा, उनके मामले आसान होंगे, उनके पाप मिटेंगे और उन्हें एक बड़ा अज्र ए अज़ीम मिलेगा।


 ❾सूरह तहरीम

 1. अजवाज ए मुतह्हरात से मुताल्लिक़ कुछ अहकाम

 2- दो जहन्नमी औरतों का बयानऔर ये दोनों पैगम्बर की पत्नियां हैं (नूह और लूत अलैहिस्सलाम) और वे काफिरों के लिए एक मिसाल हैं और मोमिनों के लिए दो जन्नती औरतों की मिसाल है, एक फिरौन की बीवी आसिया और दूसरी इमरान की बेटी मरियम अलैहिस्सलाम

 ¤ यहूद की मज़म्मत


Muhammad Yasir

 सत्ताइसवां पारा


इस पारे में सात हिस्से हैं


इसमें सूरह ज़ारियात का बाकी हिस्सा शामिल है, जिसमें फिरौन और उसके साथियों का नदी में डूबने का ज़िक्र किया गया है, क़ौम ए आद के लोगों को हवा की नज़र किए जाने और क़ौम ए समूद और क़ौम ए नूह अलैहिस्सलाम के लोगों को अज़ाब में गिरफ्तार किए जाने का बयान है।


2.  सूरह तूर में बहुत सी बातें हैं


 1- क़यामत का बयान 


 2- इसमें बताया गया है कि लोग जन्नत में कैसे घूमेंगे और उनका ऐतराफ कैसा होगा 


 3- पैगम्बर अलैहिस्सलाम को मक्का के लोगों ने क्या कह प्रताड़ित किया था इसका इशारा (शायर और मजनून) 


3. सूरह नज़्म में कई बातों का ज़िक्र है


 1- वाक़्या ए मेअराज (रसूलुल्लाह ﷺ ने जिब्रील अलैहिस्सलाम को दो दफा अपने असल रूप में देखा, नुबुव्वत की शुरुआत में और मेअराज के मौके पर सिदरातुल मुंतहा के पास) 


2- क़यामत का ज़िक्र 


3. अल्लाह की सिफात


4. सूरह क़मर में बहुत सी बातें हैं


 1- चांद का दो हिस्सों में बंटना, जो नबुव्वत की निशानी और खुला हुआ चमत्कार था।


 2- क़ुरआन इंसानों के लिए एक नसीहत है, और कोई है जो इससे नसीहत हासिल करे


 3- मुख्तलिफ क़ौमों के दुनिया में अज़ाब में मुब्तला होने और आखिरत के दिन परेशानी में घिरने का बयान है


5.  सूरह रहमान में भी कई बातों का जिक्र है


 1. हिसाब-किताब के लिए क़यामत के दिन मीज़ान (तराजू) क़ायम किया जाएगा


 2- अल्लाह ने इस दुनिया में इंसानों को बेशुमार नेअमतें दी हैं और वह नेक लोगों को आख़िरत में तरह-तरह की नेमतें देगा।  ऐ इंसानों और जिन्नों, तुम सब अल्लाह की किन किन नेमतों को नकारोगे?


6.  सूरह वाक़्या के बारे में कुछ बातें इस प्रकार हैं


 1- क़यामत कैसे क़ायम होगी उसकी एक छोटी सी झलक दी गई है


 2- क़यामक के दिन, लोग तीन श्रेणियों में होंगे: साबिक़ीन, अव्वलीन, असहाबुल यमीन और असहाबुल मशअमह यानी जहन्नमी लोग 


 3- अल्लाह की क़ुदरत ए कामिला का बयान


7.  सूरह हदीद की कुछ बातें


 1- अल्लाह की वहदानियत का बयान


 2- मक्का की फ़तह अल्लाह की राह में ख़र्च करने वालों और जिहाद करने वालों की श्रेष्ठता का बयान है


 3- क़ियामत के दिन मोमिनों को एक नूर (रौशनी) दी जाएगी जिसकी रौशनी में वो चलेंगे और मुनाफ़िक़ इस रौशनी से महरूम रहेंगे।


 4- लोहे के फायदों के बारे में बताया गया है कि आप हथियार बना सकते हैं और इससे अन्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं जैसे: मकान बनाना, गाड़ी, पुल आदि बनाना।


Muhammad Yasir

Monday, 10 April 2023

 छब्बीसवां पारा


 इस पारे में छह हिस्से  हैं

 1- सूरह अल-अहक़ाफ पूरी

 2- सूरह मुहम्मद मुकम्मल

 3- सूरह अल-फतह पूरी

 4- सूरह हुजरात मुकम्मल

 5- सूरह ق मुकम्मल

 6- सूरह अल-ज़ारियात शुरूआती हिस्सा


 सूरह अहकाफ में कई बातों का जिक्र है

 1- माता-पिता के साथ अच्छे व्यवहार का ज़िक्र है

 2- हमल की न्यूनतम अवधि जो छ: माह है,

 3- आद की क़ौम की शरारत और उन पर आने वाले अज़ाब का ज़िक्र है, कि उन पर ऐसी आँधी चली कि सब तबाह हो गए।

 4- जिन्नों के ईमान लाने का बयान और उपनी क़ौम में दाई के रूप में काम करने का बयान है


 सूरह मुहम्मद में बहुत सी बातें हैं

 1- जन्नत की मिसाल बयान की गई है कि उसमें एक नहर है जिसका पानी मैला नहीं होता, दूध की नदी है जो नहीं बदलती, शराब की नदी है, शुद्ध शहद की नदी है और हर तरह के फल आदि।

 2- जब इंसान को धन की प्राप्ति होती है या वह कोई ओहदा या मंसब पा जाता है तो वह रिश्तों को नहीं  निभाता है

 3- अल्लाह और उसके रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) का विरोध करना आमाल की बरबादी का ज़रिया है


 सूरह फतह में कुछ बातें ये हैं

 1- इस सूरह में फतह मुबीन से मुराद या तो सुलह हुदैबिया है या तो फतह मक्का है मुफस्सिरीन में इख्तेलाफ है

 2- पवित्र पैगम्बर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) पर ईमान लाने उनका सम्मान करने और उनकी मदद करने का बयान है।

 3- सुलह हुदैबिया के बाज़ हालात का बयान

 4- नबी ए करीम ﷺ के ख्वाब का ज़िक्र कि वह मस्जिद हरम की ज़ियारत करेंगे

 5- सहाबा की बाज़ उमदह सिफात का ज़िक्र


 सूरह हुजरात में बहुत सी बातें हैं

 1- नबुव्वत और रिसालक का मक़ाम

 2- दो दलों के बीच असहमति की स्थिति में सुधार का प्रयास करें और विद्रोही दल के खिलाफ तब तक खड़े रहें जब तक कि वह सही रास्ते पर न आ जाए।

 3- समाज को बर्बाद करने वाले कुछ काम का बयान जिससे बचना चाहिए जैसे चुगली करना, बदगुमानी, बुरे अलक़ाब से खिताब वगैरह


 सूरा ق की कुछ बातें ये हैं

 1- क़यामत का बयान कि मरने के बाद फिर से ज़िन्दा किया जाएगा

 2- क़ौम ए नूह, असहाबुल रस, क़ौम ए समूद आद फिरौन के साथियों और इख्वाने लूत की तकज़ीब का बयान

 3- जहन्नुम की कुशादगी और जन्नत की क़ुरबत का तज़किरह

 4- इस बात क ज़िक्र कि है कि उन्हें आखिरत में कैसे लाया जाएगा और मुशरिकीन को कड़ी सजा कैसे दी जाएगी।


सूरह जारियात के शुरुआती हिस्से की कुछ बातें हैं

1. हिसाब ओ किताब होकर रहेगा 

 2- परहेज़गारों की कुछ सिफात का ज़िक्र  कि वे रात को बहुत कम सोते हैं, सेहर में अस्तगफार करते हैं और अपने मालों में साइल और महरूम का हक़ फरामोश नहीं करते 

 3- इब्राहिम अलैहिस्सलाम के पास मेहमानों के आगमन और उनकी ज़ियाफत का ज़िक्र


Muhammad Yasir

Sunday, 9 April 2023

 पच्चीसवां पारा


इस पारे में कुल पाँच भाग हैं

 1-  सरह अल-सज्दा का बाकी हिस्सा

 2 - सूरह शूरा पूरी

 3- सूरा ज़ुखरूफ़ पूरी 

 4- सूरह दुखान पूरी

 5- सूरा जासिया पूरी


 ❶ अल-सजदा के बाक़ी हिस्से में कहा गया है कि अल्लाह ग़ैब का जानने वाला है, जैसे कि क़ियामत के दिन का ज्ञान क्या है, पेट में पल रहे बच्चे की क्या विशेषता है वाज़े हमल कब होगा ये अल्लाह के सिवा कोई नहीं जानता 


 ❷ सूरा शूरा में बहुत सी बातें हैं

 ¤ अल्लाह तआला सारे खजानों का मालिक है।

 ¤ बारिश का बरसना, आसमानों और ज़मीन की पैदाइश, जानवरों का पैदा होना, समुन्दर में नावों का दौड़ना आदि अल्लाह की ताक़त की कई निशानियाँ हैं।

 ¤ औलाद देने की ताक़त अल्लाह ही की है।


 ❸ सूरह ज़ुख़रूफ में भी बहुत सी बातें कही गई हैं।

 ¤ पिछली क़ौमों का अपने आबा व अजदाद की तक़लीद अपने पैगम्बर को खारिज कर दिया

 ¤ मूसा अलैहिस्सलाम और फिरौन का क़िस्सा 

 ¤ जन्नत और जहन्नुम के लोगो का बयाम, ये दोनों अपने-अपने ठिकाने में कैसे रह रहे होंगे


 ❹ सूरह दुखान में बहुत सी बातें हैं।

 ¤ क़ुरआन ए करीम के नुज़ूल का बयान 

 ¤ शब ए क़द्र की रात का ज़िक्र कि इसमें हर मज़बूत मामले का फ़ैसला किया जाता है।

 ¤ मक्का वालों की यह ज़िद कि नबुव्वत की निशानी देखकर भी अपने कुफ्र पर अड़े रहे और कहा कि यह माजनून है

 ¤ शजर अल-ज़कूम का बयान कि यह मुजरिमों का भोजन होगा।


 ❺ सूरह जासिया में भी बहुत सी बातें हैं।

 ¤ अल्लाह की निशानियों का तज़किरह किया गया है कि आसमान और जमीन, इंसान, जानवर, रात और दिन का आना और जाना, बारिश और हवाओं का उतरना अल्लाह की क़ुदरत ए कामिला की निशानी है 

 ¤ जो लोग अल्लाह की आयतों का मज़ाक उड़ाते हैं, उन्हें क़यामत के दिन फरामोश दिया जाएगा और उन पर कोई ध्यान नहीं दिया जाएगा।


Muhammad Yasir

Saturday, 8 April 2023

 चौबीसवां पारा 


इस पारे के तीन हिस्से हैं:

 1- सूरह ज़ुमर का बाकी हिस्सा

 2 - सूरह मुमिन मुकम्मल

 3- सूरह हाम्मीम-सज्दा शुरूआती हिस्सा


 ❶  सूरह ज़ुमर के बाकी हिस्से में कई बातें हैं

 1.  अल्लाह का रुबूबियत का बयान

 अल्लाह ही आसमानों और ज़मीन का पैदा करने वाला है और तमाम इंसान उस पर ईमान रखते हैं।

 2.  अल्लाह की रहमत की हद और तौबा की तरगीब

 इंसान को अल्लाह की रहमत से कभी मायूस नहीं होना चाहिए।

 3.  जन्नत और जहन्नुम के अहवाल


 ❷ सूरह मु'मिन में बहुत सी बातें बयान की गई हैं

 1- मोमिन का बयान

 जब फ़िरऔन के दरबार में मूसा अलैहिस्सलाम को क़त्ल करने का षड्यन्त्र हो रहा था, तो एक मोमिन जो अपने को छुपाए हुए था उसने इसका अंजाम बहुत बुरा होगा और मूसा अलैहिस्सलाम के क़त्ल से डराया ने कहा,

 2- फिरौन के घमंड और अहंकार का बयान किया गया है कि उसने अल्लाह को देखने का साहस करते हुए हामान को एक महल बनाने का आदेश दिया।

 3- अल्लाह के हुक्मों को न मानने वालों की सजा का बयान 


 4- इंसान की तखलीक़ का बयान

 


 ❸ सूरह सज्दा में बहुत सी बातें हैं

 1- आसमान और ज़मीन की तखलीक़

 अल्लाह ने ज़मीन और उसमें जो कुछ है उसे चार दिन में पैदा किया और आसमान को दो दिन में पैदा किया

 2- काफिरों की शरारत का ज़िक्र करो कि जब नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने क़ुरान करीम की तिलावत की तो ये लोग शोर मचाते थे ताकि लोग क़ुरआन ए करीम की तिलावत न सुन सकें।

 3- दाई का यह बयान कि उससे बेहतर कोई नहीं बोल सकता और दाई को किस उसलूब (शैली) का प्रयोग करना चाहिए

4- क़ौम ए आद व समूद के क़िस्से

5- इस्तेक़ामत के फ़जाइल : (न खौफ न गम, जन्नत की बशारत, दुनिया व आखिरत में अल्लाह की हिफाज़त

 तेइसवां पारा


इस पारे के चार हिस्से हैं 


 1.  सूरह यासीन का बाकी हिस्सा

 2.  सूरह साफ्फात मुकम्मल

 3.  सूरह ص  मुकम्मल

 4.  सूरह ज़ुमर शुरूआती हिस्सा


 ❶ सूरह यासीन के बाक़ी हिस्से में तीन चीज़ें हैं:

 1.  हबीब नज्जार का क़िस्सा

  (एक गाँव के लोगों ने अपने तीन पैगम्बरों को झुठलाया, उन्हीं के एक आदमी हबीब नज्जार ने उन्हें समझाने की कोशिश की, तो उन्होंने उसे शहीद कर दिया, भले ही वह जन्नत में जाकर भी उसने तमन्ना की कि काश मेरी क़ौम को मालूम हो जाए कि मुझे कैसी नेमतें मिली हैं


 2.  अल्लाह की क़ुदरत के दलाइल

 ¤ मुर्दा ज़मीन जो बारिश से ज़िन्दा हो जाती है।

 ¤ दिन और रात के निजाम और शम्स और कमर।

 ¤ नावें और जहाज जो समुद्र में चलते हैं।


 3.  क़यामत

 (महशर की हौलनाकी (वीभत्सता) , सूर फूंकने का ज़िक्र उस दिन मुजरिमों के मुँह पर मुहर लगा दी जाएगी और उनके अंग उनके ख़िलाफ़ गवाही देंगे।)


 ❷ सूरह साफ्फ़ात में दो चीज़ें हैं:

 1.  जहन्नमियों का लान तान और जन्नत के लोगों की खुशगवार बातचीत।

 2.  पैगम्बरों की कहानियां (उन पर शांति हो) नूह अलैहिस्सलाम , हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम की दावत ए तौहीद, उन्हें अपने बेटे को ज़िले करने का आदेश और उसका अनुपालन, मूसा अलैहिस्सलाम और हारून अलैहिस्सलाम का क़िस्सा, हज़रत इलियास अलैहिस्सलाम जिन्हें सीरिया में ऐसे लोगों के लिए एक नबी के रूप में भेजा गया था, जो "बअल" नामक मूर्ति की पूजा करते थे, लूत अलैहिस्सलाम की क़ौम के लोगों की शहवत परस्ती का क़िस्सा, यूनुस अलैहिस्सलाम के मछली के पेट में जाने का क़िस्सा


 ❸ सूरह ص में दो बातें हैं:

 1.  तौहीद

 (एक अल्लाह सभी इंसानों और जीवन और मृत्यु की पूरी व्यवस्था का मालिक है।)

 2.  रिसालत

  (पवित्र पैगंबर को सांत्वना, कुरैश की निंदा, हजरत दाऊद अलैहिस्सलाम के शुक्र का क़िस्सा और हजरत अय्यूब अलैहिस्सलाम के सब्र का क़िस्सा और अन्य नबियों की क़िस्से


 ❹सूरह ज़ुमर के शुरूआती हिस्से में दो बातें हैं:

 1.  कुरान की अज़मत

 2.  तौहीद (अल्लाह सर्वशक्तिमान इंसान को उसकी माँ के पेट में तीन अँधेरों में पैदा करता है। एक मुशरिक की मिसाल   एक गुलाम की तरह है जिसके कई आका हैं और एक मुवह्हिद की मिसाल उस गुलाम की है जिसका केवल एक आक़ा है।)


Muhammad Yasir

Friday, 7 April 2023

 बाइसवां पारा


 इस पारे के चार हिस्से हैं:

 1.  सूरह अल-अहज़ाब का बाक़ी हिस्सा

 2.  सूरह सबा मुकम्मल

 3.  सूरह फातिर मुकम्मल

 4.  सूरा यासीन शुरूआती हिस्सा


 ❶ सूरह अल-अहज़ाब के बाक़ी हिस्से में चार चीज़ें हैं:


 1.  अजवाज ए मुतह्हरात के सात अहकाम :

 ¤ नाजुक ढंग से मत बोलो।

 ¤ बेवजह घर से बाहर ना निकले।

 ¤ जाहिलिय्याह की स्त्रियों के समान अपना ज़ीनत और सतर का इज़हार करते हुए बाहर न निकलें।

 ¤ नमाज़ की पाबंदी करें।

 ¤ जकात दें।

 ¤ अल्लाह और उसके रसूल की इताअत करें।

 कुरान की आयतों की तिलावत और हदीसों का मुज़ाकिरह


 2.  मुसलमानों के दस गुण : (इस्लाम, ईमान, क़ुनूत, सिद्क़, सब्र, खुशू, सदक़ा, रोज़े, शर्म गाह की हिफाज़त, कसरत से अल्लाह का ज़िक्र) 

 3.  पैगंबर का निकाह: जब हज़रत ज़ैद बिन हारिसा और उनकी फूफी जाद बहन हज़रत ज़ैनब का मेल न हो सका और उनके बीच अलगाव हो गया, तो अल्लाह के आदेश से रसूलुल्लाह ﷺ उन्होंने खुद हज़रत ज़ैनब से निकाह किया।

 4.  पैगंबरﷺ  पर दरूद ओ सलाम का हुक्म


 ❷ सूरह सबा में दो बातें हैं:

 1.  हज़रत दाऊद और हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम का क़िस्सा 

 2.  अहल सबा के गुरूर और तकब्बुर की घटना


 ❸ सूरह फातिर में दो बातें हैं:

 1.  तौहीद के दलाइल

 2.  मुसलमानों के तीन समूह (1. वे मुसलमान जिनके गुनाह ज्यादा हैं 2. नेकी और गुनाह बराबर 3. नेकियां ज्यादा हैं)


 ❹ सूरह यासीन के शुरूआती हिस्से में दो बातें हैं:

 1.  रिसालत 

 2.  कुरैश की मज़म्मत

 इक्कीसवां पारा


इस पारे के पाँच हिस्से हैं:

 1.  सूरह अंकबूत का बक़िया हिस्सा

 2.  सूरह रोम मुकम्मल

 3.  सूरा लुकमान मुकम्मल

 4.  सूरह सजदा मुकम्मल

 5.  सूरह अल-अहज़ाब शुरूआती हिस्सा


 ❶ सूरह अनकबूत के बाक़ी हिस्से में चार चीज़ें हैं:

 1.  तिलावत और नमाज़ का हुक्म

 2. नमाज़ की फज़ीलत (कि यह बुराई और बेहयाई से रोकती है)

 3.  शत्रुओं और उनकी हठधर्मिता का ज़िक्र

 4.  संसार की बेसबाती (अस्थिरता) 


 ❷ सूरह रोम में दो चीज़ें हैं:

 1.  दो पेशेनगोईयां (भविष्यवाणी) 

 • नौ साल के भीतर रोम के अहले किताब (ईसाई) ईरान के मूर्तिपूजकों को हरा देंगे।

 • इसी अवधि में, मुसलमान कुरैश के मुशरिकीन पर जीत का जश्न मना रहे होंगे।  (यह बद्र के रूप में ज़ाहिर हुआ)


 2.  तौहीद के ज़िमन (अंतरगत) में अल्लाह की अज़मत की सात निशानियां (लक्षण) :

 • अशया (चीज़ों) को अज़दाद से पैदा करना (ज़िंदा को मुर्दा से और मुरदे को ज़िंदा से)

 • मिट्टी से इंसान का जन्म

 • जीवनसाथी का प्यार

 • ज़मीन व आसमान की पैदाइश

 • रात और दिन की नींद और नौकरी की तलाश

 • बिजली की चमक, बारिश और उसके अनाज का उत्पादन

 • पृथ्वी और आकाश की मुस्तहकम (स्थिर) निज़ाम (प्रणाली) 


 सूरह लुक़मान में तीन चीज़ें हैं:

 1.  तौहीद (अल्लाह की शक्ति के चार दलाइल)।

 • बगैर सुतून (स्तंभ रहित) आसमान

 • मजबूत पहाड़

 • रेंगने वाले (सरीसृप) मवेशी और हसरात (कीड़े) 

 • बरसने वाली बारिश


 2.  हज़रत लुक़मान की अपने बेटे के लिए पाँच वसीयतें:

 • शिर्क मत करो।

 • अल्लाह तआला आख़िरत में हर बड़ी और छोटी बात और काम को सामने लाएगा।

 • नमाज़, अम्र बिल मअरूफ, नहीं अनिल-मुंकर , आजमाइश (परीक्षा) में सब्र (धैर्य) ।

 • आज़िज़ी (विनम्रता) , तकब्बुर (अहंकार) से बचो।

 • संयम से चलो, मुनासिब (उचित) आवाज़ में बोलो।


 3.  तौहीद के ज़िमन (संदर्भ) में, यह कहा गया था कि पांच चीजों का ज्ञान सिर्फ अल्लाह को है

 • कहां और कितनी बारिश होगी?

 • क़यामत कब आएगी?

 • पेट में पल रहे बच्चे के औसाफ़ (विशेषताएं) 


❹ सूरह सज्दा में चार चीज़ें हैं:

 1.  कुरान की महानता

 2.  तौहीद (वह आसमानों और ज़मीन का पैदा करने वाला है, वही है जो हर चीज़ की योजना बनाता है, उसने पानी की एक बूंद से अलग-अलग मंज़िलें बनाकर इंसान को पैदा किया, फिर उसे सबसे आकर्षक रूप और मुनासिब क़द ओ क़ामत (कद-काठी) वाला बनाया।)

 3.  क़यामत का दिन (गुनाहगार उस दिन सिर झुकाए खड़े होंगे, उन पर रुसवाई होगी, वे इस दुनिया में लौटना चाहेंगे, जो ईमान वाले इस दुनिया में अल्लाह के लिए अपनी सुख-सुविधाओं की कुर्बानी देते हैं, अल्लाह ने उनके लिए आख़िरत ने ऐसी नेमतें तैयार कर रखी हैं जिन्हें कोई नहीं जानता।)

 4.  नबुव्वत ( तौरेत (तोरह) हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम को दिए जाने का ज़िक्र) 


 ❺ सूरह अल-अहज़ाब के शुरुआती हिस्से में दो चीज़ें हैं:

 1.  ज़माना ए जाहिलियत (अज्ञान के युग) के तीन झूठे विचारों का खंडन किया गया है:

 • उनका मानना ​​था कि कुछ लोगों के सीने में दो दिल होते हैं, कहा कि दिल एक ही होता है, या उसमें ईमान होगा, या उसमें कुफ्र होगा।

 • कलमात ए ज़हार (तुम मेरे ऊपर ऐसी हो जैसे मेरी मां की पुस्त) कहने से पत्नी हमेशा के लिए हराम नहीं हो जाती है, लेकिन कफ्फारा (प्रायश्चित) करने से वह हलाल हो जाती है।

 • शरीयत के नियमों में मुंह बोला बेटा हक़ीक़ी बेटे के समान नहीं है।


 2.  दो गज़वात (गज़वह ए अहज़ाब और गज़वह ए बनी कुरैजा का ज़िक्र जिसमें मुसलमानों का फ़तेह मिली)


Muhammad Yasir

Thursday, 6 April 2023

 बीसवां पारा


 इस पारे के तीन हिस्सा हैं:

 1.  सूरा नमल का बाकी हिस्सा

 2.  सूरह अल-कसस पूरी

 3.  सूरह अंकबूत शुरू का हिस्सा


  ❶ सूरह नमल के बाक़ी हिस्से में दो चीज़ें हैं:

 1.  तौहीद के पांच दसाइल

 • वह आसमान ज़मीन बारिश और खेतों का निर्माता है।

 • ज़मीन नहरें, पहाड़ और समंदरों का निज़ाम वही चलाता है, 

 • मजबूर, बेबस और बीमारों की पुकार उसके अलावा कोई नहीं सुनता।

 • वह समुद्रों और घोर अंधेरे में रास्ता दिखाता है, वही हवाओं का निज़ाम चलाता है।

 • उसने पहली बार भी पैदा किया ,  फिर से वही पैदा करेगा , वही राज़िक़ है।


 2.  फैसले का दिन

 (सूर का फूँका जाना, पहाड़ों को हवा में बादलों की तरह उड़ना, रोज़ ए क़यामत सबका जमा होना, नेक लोगों को उनके भले कामों का ईनाम और बुरे लोगों को उनके कामों का दण्ड)


 ❷ सूरह अल-क़सस में दो चीज़ें हैं:

 1.  हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम और फिरौन का क़िस्सा

 2.  हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम और क़ारून क़िस्सा


क़ारून मूसा अलैहिस्सलाम का क़राबत दार था, कुछ उलमा ने चचा जाद लिखा है , अपने वक़्त का ही नहीं आज के हिसाब से भी बहुत ज़्यादा दौलतमंद इंसान था , उसके खजाने  नहीं खजाने की चाबियां उठाने के लिए ताक़तवर मर्दों की जमात की ज़रूरत पड़ती थी , दौलत की कसरत ने उसे मगरूर और घमंडी बना दिया , मूसा अलैहिस्सलाम ने समझाया माल पर मत इतराओ अल्लाह इतराने वालों को पसंद नहीं करता , अल्लाह ने जो दिया उसे अल्लाह की रज़ा के लिए खर्च करो , बंदों पर एहसान करो ज़ुल्म न करो , माल हराम काम में मत खर्च करो मगर ये सारी नसीहत उसके सर के ऊपर से गुज़र गई उसने वही जवाब दिया जो हल अहमक और मगरूर देता है उसने कहा, "मुझे ये माल मेरी दानिश के ज़ोर पर मिला है"... 

उसे अल्लाह ने उसके घर समेत ज़मीन में धंसा दिया ... 


 ❸ सूरह अनकबूत के पहले भाग में तीन चीज़ें हैं:

 1.  तौहीद

 (बुतपरस्तों की मूर्तियाँ मकड़ी के जाले की तरह कमजोर होती हैं।)

 2.  नबूवत (अल्लाह की ओर से आज़माइशें ज़रूर आएंगी, इस सिलसिले में कुछ नबियों की कहानियों का ज़िक्र है।)

 3.  क़यामत का तज़किरह

 उन्नीसवां पारा

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 इस पारे के तीन हिस्से हैं:

 1.  सूरह फुरकान का बाक़ी हिस्सा

 2.  सूरह शोअरा पूरी 

 3.  सूरह नमल का शुरूआती हिस्सा


 पहला हिस्सा


 सूरह फुरकान के बाकी हिस्सों में चार चीजें हैं:

 1.  फैसले का दिन

 2.  तौहीद (अल्लाह ही आसमानों, ज़मीन और रात और दिन का पैदा करने वाला है)।

 3.  पैगंबर (पैगंबर ﷺ को बशीर और नज़ीर के रूप में भेजा गया था।)

 4.  इबाद अल-रहमान की विशेषताएं ( आजिज़ी से चलना, जाहिलों से बचना, रात में इबादत करना, जहन्नम की सजा से पनाह , खर्च में संयम, न फिजूलखर्ची और न कंजूसी, बुतपरस्ती से बचना, नाहक़ हत्या से बचना, ज़िना और बदकारी से दूर रहना, झूठी गवाही से बचना, बुरी महफिलों से बचना, अल्लाह की किताब से हिदायत लेना, नेक बीवी और बच्चों की और ये दुआ करना की हमें हादी और महदी बना... 


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 दूसरा हिस्सा


 सूरह अल-शोअरा में तीन चीजें हैं:

 1.  सात नबियों के क़िस्से (हज़रत मूसा, हज़रत इब्राहिम, हज़रत नूह, हज़रत हूद, हज़रत सालेह, हज़रत लूत, हज़रत शोएब)।

 2.  कुरान की प्रामाणिकता: (इसे रब्बुल आलमीन ने उतारा है रूहुल अमीन हज़रत जिब्रील अलैहिस्सलाम के वास्ते से नबी ﷺ के क़ल्ब पर लोगों को चेतावनी देने और डराने के लिए वाज़ेह अरबी भाषा में .)

 3.  शायरों की मजम्मत कि उनके पीछे भटके हुए लोग चलते हैं, वे हर घाटी में फिरते हैं, वे ऐसी बातें कहते हैं जो वे करते नहीं, सिवाय उनके जो ईमान लाए और नेक काम करते हैं और अक्सर अल्लाह को याद करते हैं।


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 तीसरा हिस्सा


 सूरह नमल के शुरुआती हिस्से में दो बातें हैं:

 (1) कुरान की अज़मत (महानता) 

 (2) पाँच नबियों का ज़िक्र : (हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम, हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम, हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम, हज़रत सालेह अलैहिस्सलाम, हज़रत लूत अलैहिस्सलाम, खास तौर पर नमल (चींटी) की घटना, हुदहुद की घटना और शबा की रानी बिल्कीस की घटना।