उन्तीसवां पारा
इस पारे में कुल 11 सूरह हैं
❶ सूरह मुल्क
• तौहीद का असबात (हर चीज़ ख़ालिक व मलिक अल्लाह है)
• क़यामत को झुठलाने वालों का दर्दनाक अंजाम
❷ सूरह क़लम
• बाग वालों का वाक़्या कि जिनका बाग गुरबा व मसाकीन के हुक़ूक़ की अदायगी न करने पर बाग आग की नज़र हो गया
• पैगमबर ﷺ के अख़लाक़ ए आली का बयान , और मुखालिफीन की अख्लाक़ी पस्ती का बयान
❸ सूरह अल-हक़्क़ा
• मुख्तलिफ़ क़ौमों का अज़ाब में गिरफ्तार होने का बयान
• कयामत के दिन की घटना का ज़िक्र और अच्छे लोगों की जन्नत में प्रवेश और बुरे लोगों का नरक में प्रवेश के कारणों का बयान
• बदबख्तों की दो अलामत कि वो अल्लाह पर ईमान नहीं रखते और मिस्कीनों को खिलाने की तरगीब नहीं देते
• रसूलुल्लाह ﷺ और क़ुरआन की सदाक़त कि ये किसी काहीन या शायर का कलाम नहीं है
❹ सूरह अल-मआरिज
• क़याम की घटना के तरीके का बयान कि क्या क्या होगा
• इंसानों की कुछ गुणों का बयान
• जन्नतियों की सिफत का बयान
• रसूलुल्लाह ﷺ को तसल्ली
❺ सूरा नूह
• नूह अलैहिस्सलाम की लम्बे समय तक गबलीग और उसके तरीके का बयान
इस्तग़फ़ार के फ़ायदे बताए कि बारिश होगी, दौलत में इज़ाफ़ा होगा, औलाद मिलेगी, नहरें और बाग़- हासिल होगी।
• वद, सवाअ, यगूस, यऊक और नस्र की बुत (मूर्तियों) का बयान कि नूह अलैहिस्सलाम की क़ौम ने कहा कि हम उन्हें छोड़ नहीं सकते
• नूह अलैहिस्सलाम की दुआ رَبِّ اغْفِرْ لِي وَلِوَالِدَيَّ وَلِمَنْ دَخَلَ
بَيْتِيَ مُؤْمِنًا وَلِلْمُؤْمِنِينَ وَالْمُؤْمِنَاتِ وَلَا تَزِدِ الظَّالِمِينَ إِلَّا تَبَارًا
❻ सूरह अल-जिन्न
• पवित्र पैगम्बर ﷺ नखला घाटी में गए और नमाज़ और क़ुरआन की तिलावत की जिसे जिन्नों ने सुना और ईमान ले आए और अपनी क़ौम को जाकर दावत दी
• मस्जिदें सिर्फ अल्लाह की इबादत के लिए होती हैं और उनमें किसी और को नहीं पुकारा जाएगा
• अल्लाह ने रसूलुल्लाह ﷺ को हुक्म दिया कि कह दीजिए कि मैं अपने रब को पुकारता हूं, उसके साथ शरीक नहीं ठहराता, तुम्हारा कोई नफ़ा और नुकसान मेरे हाथ में नहीं
❼ सूरह अल-मुजम्मिल
• नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की इबादत की स्थिति बयान की गई है कि वह पूरी रात इबादत करते थे, इसलिए उन्हें पूरी रात इबादत न करने से मना किया गया
• तहज्जुद और अल्लाह को ज़िक्र का हुक्म
• क़ुरआन को जहां से सहूलत हो पढ़ने का हुक्म, नमाज़, ज़कात और इस्तेगफार का हुक्म
❽सूरह मुदस्सिर
• नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को तबलीग का हुक्म और अल्लाह की किब्रियाई बयान करने का हुक्म
• जो लोग नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) का अनुसरण करने से इनकार करते हैं, वे जहन्नुम के ईंधन बनेंगे और फिर जहन्नुम के कुछ सिफात का बयान किया गया है।
• जन्नत और जहन्नुम वालों के बीच मुकालमा और जहन्नम में दाखिल होने की वजहें: हम इबादत करने वाले नहीं थे, हम मिस्कीनों को खाना नहीं खिलाते थे, हम गप हांका करते थे और कयामत के दिन को झुठलाते थे।
❾सूरह अल क़ियामा
• जब क़यानत क़ायम होगी तो इंसान चकित होगा और कहेगा, اين المفر "मैं कहाँ भाग कर जाऊं?" परन्तु कोई भी ऐसा नहीं है जो भाग सके, और कोई भी नहीं जो रब पकड़ से बच सके।
• क़ुरआन की हिफाज़त का ज़िम्मा
• क़यामत के दिन बहुतों के चेहरों पर ताजगी आएगी और वे अपने रब की तरफ़ देखेंगे और बहुतों के चेहरे मुरझा जाएँगे।
⑩सूरह दहर
• तकलीक़ ए इंसान (इंसानों के लिए एक समय ऐसा भी आया है कि जब वे कुछ भी नहीं थे तो अल्लाह ने उन्हें हयात दी)
• जन्नत में मिलने वाली नेअमतों का ज़िक्र
• शुक्रगुज़ार और नाशुक्रे इंसानो का ज़िक्र
• नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को तकलीफ़ों का सामना करने में सब्र करने की नसीहत दी गई है और हुक्म दिया गया है कि सुबह और शाम ख़ुदा की याद में मशगूल रहें।
❶❶ सूरा मुरसिलात
1- क़यामत के दिन का बयान और उसके घटित होने के समय आसमान, पहाड़ों और तारों की क्या हालत होगी उसका ज़िक्र
• इस सूरह में अल्लाह ने 11 बार क़यामत को झुठलाने वालों के लिए हलाकत का ऐलान किया है
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