तीसवां पारा (पार्ट 1)
इस पारे में सबसे ज़्यादा 37 सूरतें हैं:
1. सूरह अल-नबा: क़यामत का यक़ीनी होना, अल्लाह की क़ुदरत, जन्नत और जहन्नम का ज़िक्र
2. सूरह नज़िआत:
क़यामत के अहवाल कि पहले सूर के नतीजे में सब मर जाएंगे,फिर जब दूसरा सूर फूंका जाएगा तो सब ज़िन्दा होकर मैदान ए हश्र में जमा हो जाएंगे
हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम को नबुव्वत मिलने, फिरऔन की सरकशी और उसकी हलाकत का ज़िक्र
3. सूरह अबस:
इस सूरा में तालिब ए इस्लाह पर तवज्जो देने का हुक्म आप ﷺ को दिया गया, इसके अलावा कुरान की अज़मत, इंसान का नाशुक्रापन और क़यामत के दिन का ज़िक्र कि उस दिन ईमान वालों के चेहरे रौशन होंगे और काफिरों के चेहरे स्याह होंगे
4. सूरह तकवीर:
क़यामक कि ज़िक्र की उस दिन कोई चीज़ महफ़ूज नहीं रहेगी सब चीज़ें रेत के घरौंदे के समान होंगी, लड़कियों को जिंदा दफन किए जाने का ज़िक्र, कुरान की हक़्क़ानियत (सत्यता) , पैगम्बर अलैहिस्सलाम की हक़्क़ानियत (सत्यता)
5. सूरह इंफ्तार:
क़यामत का ज़िक्र करके इंसानों से शिकवा कि किस चीज़ ने तुझे अपने रब से धोके में डाल दिया है, इंसान की तक़लीफ़ का ज़िक्र
6. सूरह मुतफ्फिफीन:
नाप तौल में कमी करने वालों की मज़म्मत, क़यामत का तज़किरह पुनरुत्थान का उल्लेख, जन्नत की नेमतों का बयान
7. सूरह इंशक़ाक़:
क़यामत के दिन आसमान फट पड़ने का ज़िक्र, नामा ए आमाल दाएं और बाएं में मिलने का ज़िक्र
8. सूरह बुरुज:
असहाबुल उखदूद का क़िस्सा, अल्लाह की पकड़ बहुत सख्त है
9. सूरह तारिक़:
इंसानों पर निगेहबान फरिशतों का ज़िक्र, इंसान को अपनी बनावट पर गौर करने का ज़िक्र, कुफ्फार को ढ़ील देने का ज़िक्र और आखिरकार उनकी सख्त पकड़ का ज़िक्र
10. सूरह अल-आला:
अल्लाह की तस्बीह व तहमीद और सिफ़ात का ज़िक्र, कामयाब और नाकाम होने वालों का बयान
11. सूरह गाशियह:
गाशियह यानी ढ़ांप लेने वाली कयामत का नाम है , जन्नतियों और जहन्नमियों के अहवाल का बयान, अल्लाह की क़ुदरत, ऊंट, आसमान, पहाड़ों और ज़मीन की पैदाइश पर गौर करने की दावत
12. सूरह फज्र:
फज्र के वक़्त, दस रातें और जब रात जाने लगे गवाह हैं पिछले पैगम्बरों और उनकी क़ौमों के क़िस्से, सब्र व शुक्र की तरगीब, बुराइयों में मुब्तिला होकर इंसान ज़मीन पर फैसला फैलाता है और जहन्नुम का ईंधन बनता है
13. सूरह बलद:
चंद क़समों को सबूत के तौर पर पेश करके कहा है कि इंसान की आराम और राहत शरियत की ज़िन्दगी में है , अल्लाह ने इंसान को मिली कुछ नेमतों को गिनवाकर ईमान वालों के अंजाम ए खैर और कुफ्फार के अंजाम ए बद का तज़किरह किया है ,
14. सूरह शम्स:
अल्लाह की क़ुदरत सूरज, चांद, दिन रात, आसमान, ज़मीन की क़सम खाकर फरमाया कि इंसान अगर रब से डरे और अपना तज़किया करे तो कामयाब है वरना नाकाम जिस तरह क़ौम ए समूद ने नाफरमानी की हलाक हुई
15. सूरह लैल:
मुत्तक़ी, परहेज़गार, सखी और अल्लाह की राह में खर्च करने वाले इंसान की तारीफ़ और बखील (कंजूस) इंसान की मजम्मत
16. सूरह ज़ुहा:
इस सूरह का विषय ज़ात ए नबी ﷺ है, कि अल्लाह तआला ने आपको छोड़ा नहीं, आपका भविष्य हाल (वर्तमान) से बेहतर होगा, आप तअलीम ए दीन से बेखबर और तंग दस्त थे, अल्लाह ने रहनुमाई की, इसलिए यतीम (अनाथ) पर कठोर मत बनिए , साइल को झिड़किये नहीं और अल्लाह की नेमतों का बयान करिए
17. सूरा अंशराह:
पैगम्बर ﷺ की महदत (स्तुति), आप का सीना खोल दिया गया और आपका ज़िक्र बुलंद कर दिया गया, एक मुश्किल के बाद दो आसानी आती हैं, शुक्र, इबादत और अल्लाह की तरफ रगबत
Muhammad Yasir
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