Friday, 7 April 2023

 इक्कीसवां पारा


इस पारे के पाँच हिस्से हैं:

 1.  सूरह अंकबूत का बक़िया हिस्सा

 2.  सूरह रोम मुकम्मल

 3.  सूरा लुकमान मुकम्मल

 4.  सूरह सजदा मुकम्मल

 5.  सूरह अल-अहज़ाब शुरूआती हिस्सा


 ❶ सूरह अनकबूत के बाक़ी हिस्से में चार चीज़ें हैं:

 1.  तिलावत और नमाज़ का हुक्म

 2. नमाज़ की फज़ीलत (कि यह बुराई और बेहयाई से रोकती है)

 3.  शत्रुओं और उनकी हठधर्मिता का ज़िक्र

 4.  संसार की बेसबाती (अस्थिरता) 


 ❷ सूरह रोम में दो चीज़ें हैं:

 1.  दो पेशेनगोईयां (भविष्यवाणी) 

 • नौ साल के भीतर रोम के अहले किताब (ईसाई) ईरान के मूर्तिपूजकों को हरा देंगे।

 • इसी अवधि में, मुसलमान कुरैश के मुशरिकीन पर जीत का जश्न मना रहे होंगे।  (यह बद्र के रूप में ज़ाहिर हुआ)


 2.  तौहीद के ज़िमन (अंतरगत) में अल्लाह की अज़मत की सात निशानियां (लक्षण) :

 • अशया (चीज़ों) को अज़दाद से पैदा करना (ज़िंदा को मुर्दा से और मुरदे को ज़िंदा से)

 • मिट्टी से इंसान का जन्म

 • जीवनसाथी का प्यार

 • ज़मीन व आसमान की पैदाइश

 • रात और दिन की नींद और नौकरी की तलाश

 • बिजली की चमक, बारिश और उसके अनाज का उत्पादन

 • पृथ्वी और आकाश की मुस्तहकम (स्थिर) निज़ाम (प्रणाली) 


 सूरह लुक़मान में तीन चीज़ें हैं:

 1.  तौहीद (अल्लाह की शक्ति के चार दलाइल)।

 • बगैर सुतून (स्तंभ रहित) आसमान

 • मजबूत पहाड़

 • रेंगने वाले (सरीसृप) मवेशी और हसरात (कीड़े) 

 • बरसने वाली बारिश


 2.  हज़रत लुक़मान की अपने बेटे के लिए पाँच वसीयतें:

 • शिर्क मत करो।

 • अल्लाह तआला आख़िरत में हर बड़ी और छोटी बात और काम को सामने लाएगा।

 • नमाज़, अम्र बिल मअरूफ, नहीं अनिल-मुंकर , आजमाइश (परीक्षा) में सब्र (धैर्य) ।

 • आज़िज़ी (विनम्रता) , तकब्बुर (अहंकार) से बचो।

 • संयम से चलो, मुनासिब (उचित) आवाज़ में बोलो।


 3.  तौहीद के ज़िमन (संदर्भ) में, यह कहा गया था कि पांच चीजों का ज्ञान सिर्फ अल्लाह को है

 • कहां और कितनी बारिश होगी?

 • क़यामत कब आएगी?

 • पेट में पल रहे बच्चे के औसाफ़ (विशेषताएं) 


❹ सूरह सज्दा में चार चीज़ें हैं:

 1.  कुरान की महानता

 2.  तौहीद (वह आसमानों और ज़मीन का पैदा करने वाला है, वही है जो हर चीज़ की योजना बनाता है, उसने पानी की एक बूंद से अलग-अलग मंज़िलें बनाकर इंसान को पैदा किया, फिर उसे सबसे आकर्षक रूप और मुनासिब क़द ओ क़ामत (कद-काठी) वाला बनाया।)

 3.  क़यामत का दिन (गुनाहगार उस दिन सिर झुकाए खड़े होंगे, उन पर रुसवाई होगी, वे इस दुनिया में लौटना चाहेंगे, जो ईमान वाले इस दुनिया में अल्लाह के लिए अपनी सुख-सुविधाओं की कुर्बानी देते हैं, अल्लाह ने उनके लिए आख़िरत ने ऐसी नेमतें तैयार कर रखी हैं जिन्हें कोई नहीं जानता।)

 4.  नबुव्वत ( तौरेत (तोरह) हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम को दिए जाने का ज़िक्र) 


 ❺ सूरह अल-अहज़ाब के शुरुआती हिस्से में दो चीज़ें हैं:

 1.  ज़माना ए जाहिलियत (अज्ञान के युग) के तीन झूठे विचारों का खंडन किया गया है:

 • उनका मानना ​​था कि कुछ लोगों के सीने में दो दिल होते हैं, कहा कि दिल एक ही होता है, या उसमें ईमान होगा, या उसमें कुफ्र होगा।

 • कलमात ए ज़हार (तुम मेरे ऊपर ऐसी हो जैसे मेरी मां की पुस्त) कहने से पत्नी हमेशा के लिए हराम नहीं हो जाती है, लेकिन कफ्फारा (प्रायश्चित) करने से वह हलाल हो जाती है।

 • शरीयत के नियमों में मुंह बोला बेटा हक़ीक़ी बेटे के समान नहीं है।


 2.  दो गज़वात (गज़वह ए अहज़ाब और गज़वह ए बनी कुरैजा का ज़िक्र जिसमें मुसलमानों का फ़तेह मिली)


Muhammad Yasir

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