चौबीसवां पारा
इस पारे के तीन हिस्से हैं:
1- सूरह ज़ुमर का बाकी हिस्सा
2 - सूरह मुमिन मुकम्मल
3- सूरह हाम्मीम-सज्दा शुरूआती हिस्सा
❶ सूरह ज़ुमर के बाकी हिस्से में कई बातें हैं
1. अल्लाह का रुबूबियत का बयान
अल्लाह ही आसमानों और ज़मीन का पैदा करने वाला है और तमाम इंसान उस पर ईमान रखते हैं।
2. अल्लाह की रहमत की हद और तौबा की तरगीब
इंसान को अल्लाह की रहमत से कभी मायूस नहीं होना चाहिए।
3. जन्नत और जहन्नुम के अहवाल
❷ सूरह मु'मिन में बहुत सी बातें बयान की गई हैं
1- मोमिन का बयान
जब फ़िरऔन के दरबार में मूसा अलैहिस्सलाम को क़त्ल करने का षड्यन्त्र हो रहा था, तो एक मोमिन जो अपने को छुपाए हुए था उसने इसका अंजाम बहुत बुरा होगा और मूसा अलैहिस्सलाम के क़त्ल से डराया ने कहा,
2- फिरौन के घमंड और अहंकार का बयान किया गया है कि उसने अल्लाह को देखने का साहस करते हुए हामान को एक महल बनाने का आदेश दिया।
3- अल्लाह के हुक्मों को न मानने वालों की सजा का बयान
4- इंसान की तखलीक़ का बयान
❸ सूरह सज्दा में बहुत सी बातें हैं
1- आसमान और ज़मीन की तखलीक़
अल्लाह ने ज़मीन और उसमें जो कुछ है उसे चार दिन में पैदा किया और आसमान को दो दिन में पैदा किया
2- काफिरों की शरारत का ज़िक्र करो कि जब नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने क़ुरान करीम की तिलावत की तो ये लोग शोर मचाते थे ताकि लोग क़ुरआन ए करीम की तिलावत न सुन सकें।
3- दाई का यह बयान कि उससे बेहतर कोई नहीं बोल सकता और दाई को किस उसलूब (शैली) का प्रयोग करना चाहिए
4- क़ौम ए आद व समूद के क़िस्से
5- इस्तेक़ामत के फ़जाइल : (न खौफ न गम, जन्नत की बशारत, दुनिया व आखिरत में अल्लाह की हिफाज़त
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