ग्यारहवां_पारह
इस पारे के दो भाग हैं:
1. सूरह तौबा की 32 आयात
2. सूरा यूनुस पूरा
(1) सूरह तौबा के बाक़ी हिस्से में तीन चीज़ें हैं:
1. मुनाफिक़ीन की निंदा
2. मोमिनीन के नौ गुण
3. तीन ईमानदार साथी जिन्होंने तबुक की लड़ाई में भाग नहीं लिया
1. मुनाफिक़ीन की निंदा:
अल्लाह तआला ने अपने नबी को तबूक की लड़ाई में भाग न लेने के बारे में मुनाफिक़ीन के झूठे बहानों के बारे में आगाह किया, और मुनाफिकों ने मुसलमानों को परेशान करने के लिए मस्जिद ज़िरार बनाई थी और अल्लाह ने पैगंबर को इसमें खड़े होने से मना किया था, नबी अलैहिस्सलाम के हुक्म से इसे जला दिया गया था
2. मोमिनीन के नौ गुण:
(1) तौबा करने वाले (2) इबादत करने वाले (3) हम्द करने वाले (4) रोज़ा रखनने वाले (5) रुकू करने वाले (6) सजदा करने वाले (7) नेकी करने वाले (8) बुरी बातों से मना करने वाले 9. अल्लाह के अहकाम पर अमल करन वाले
3. तीन सच्चे साथी जिन्होंने तबुक की लड़ाई में भाग नहीं लिया की तौबा का वाक़्या
(1) हजरत काब बिन मलिक रज़ि (2) हजरत हिलाल बिन उमय्या रज़ि (3) हजरत मारारा बिन रबी रज़ि
ये तीनों गज़वह ए तबूक में शरीक नहीं हुए इन तीनों का पचास दिनों के लिए बहिष्कार किया गया, फिर उनकी तौबा का ऐलान वही को ज़रिए हुआ इनके नाम याद रखने के लिए
(2) सूरह यूनुस में चार बातें हैं:
1. तौहीद (अल्लाह ही राज़िक़ (पालनहार), मालिक (पालनकर्ता), ख़ालिक़ (सृष्टिकर्ता) और तमाम तदबीरें (सर्वनियोजक) करने वाला है। आयत: 31)
2. नबुव्वत (और हज़रत नूह, हज़रत मूसा, हज़रत हारून और हज़रत यूनुस (उन पर शांति हो) की कहानियों का ज़िक्र (उल्लेख) इस ज़िमन (संदर्भ) में किया गया है)
3. क़यामत (क़यामत के दिन सब इकट्ठे होंगे। आयत: 4, काफ़िर इस पर ईमान नहीं रखते। आयत: 11)
4. कुरान की महानता
2. नुबुव्वत के तहत चार नबियों का क़िस्सा बयान हुआ है
1.. हज़रत नूह अलैहिस्सलाम की क़िस्सा
हज़रत नूह अलैहिस्सलाम ने अपनी क़ौम को दावत दी, उन्होंने ठुकरा दी, सिवाय कुछ लोगों के, अल्लाह ने मोमिनों को नूह (अलैहिस्सलाम) की नाव में महफूज़ रखा और बाकी सब नाफरमानों को डूबो दिया।
2&3. हज़रत मूसा और हारून अलैहिस्सलाम का क़िस्सा
अल्लाह ने पैगंबर मूसा और हारून अलैहिस्सलाम को फिरौन के पास भेजा, फिरौन और उनके लोगों ने नहीं सुना, लेकिन फिरौन ने खुदा होने का दावा किया, पैगंबर मूसा अलैहिस्सलाम पर को एक जादूगर कहा और अपने जादूगरों को उनके साथ मुक़ाबला करने के लिए लाया जादूगर हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम पर ईमान लाए, फिर अल्लाह तआला ने हज़रत मूसा और हारून अलैहिस्सलाम को हुक्म दिया कि मिस्र में अपने लोगों के लिए घर और मस्जिदें बनाएं और मस्जिदो में सब नमाज़ अदा करें। फ़िरौन और उससे लोग बनी इस्राएल का पीछा करते हुए, समुद्र में डूब गए। अल्लाह ने बनी इस्राएल के क़बीलों के लिए समुद्र में रास्ते बनाए।
4. हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम
उन्हीं के नाम पर इस सूरह का नाम "सूरह यूनुस" रखा गया है। हजरत यूनुस अलैहिस्सलाम का नाम कुरान में चार बार सराहतन यूनुस आया है (सूरह निसा, अनआम, यूनुस और साफ्फात में) और दो जगहों पर (सूरह यूनुस और सूरह क़लमम में) अल्लाह ने उन्हें मछली वाला किया है ( साहिब अल-हवत / ज़न्नून ), की सिफत के साथ ज़िक्र किया है
हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम के वाक़िये के दो पहलू हैं:
एक उनका मछली के पेट में जाना, सूरह साफ्फात में इसका तफ्सील से ज़िक्र है।
दूसरा, उनकी गैरमौजूदगी में उनकी क़ौम का तौबा इस्तेगफ़ार करना सूरह यूनुस में इशारा (इंगित) किया गया है।
क़िस्सा :
हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम अपने लोगों से निराश थे और अल्लाह की सज़ा को निश्चित रूप से देखते हुए, उन्होंने "नीनवेह" की ज़मीन छोड़ दी। हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम समुद्र में कूद गए, एक बड़ी मछली ने उन्हें निगल लिया, अल्लाह ने उन्हें मछली के पेट में भी ज़िन्दा रखा, कुछ दिनों के बाद मछली ने उसे किनारे पर उगल दिया। क़ौम के पुरुष और महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग सभी रेगिस्तान में चले गए और रोने (विलाप करने) लगे और तौबा की और माफ़ी मांगी और सच्चे दिल से ईमान क़ुबूल किया, जिस वजह से अल्लाह का अज़ाब उन पर से टल गया।
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