दसवां पारा
इस पारा के दो भाग हैं:
1. सूरह अंफाल की आखिरी 35 आयात
2. सूरह तौबा का शुरुआती हिस्सा
1. सूरह अंफाल की आखिरी 35 आयात में पांच अहम बातें हैं
1. माल ए गनीमत का हुक्म 2. गज़वह ए बदर के हालात 3. अल्लाह की नुसरत के असबाब 4. जंग से जुड़ी हिदायात
5. हिजरत और नुसरत के फजाइल
1. माल ए गनीमत का हुक्म
माल ए गनीमत के बारे में कहा गया कि पांचवां हिस्सा नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का उनके रिश्तेदारों, यतीमों, ग़रीबों और मुसाफ़िरों के लिए है और बाक़ी के चार हिस्से मुजाहिदीनों के लिए हैं।
2. गज़वह ए बदर के हालात
1. काफ़िर मुसलमानों को और मुसलमान काफ़िरों को संख्या में कम मानते थे और ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि इस युद्ध का होना अल्लाह द्वारा तय किया गया था।
2. शैतान मुशरिकों को मज़ीन करके उनके कर्मों को प्रस्तुत करता रहा, दूसरी ओर फरिश्ते मुसलमानों की सहायता के लिए आसमान से उतरे।
3. बद्र की लड़ाई में कुरैश को ज़लील व ख्वार
3. अल्लाह की नुसरत के असबाब
जंग के मैदान में साबित क़दमी
कसरत से अल्लाह तआला का जिक्र
विवाद और लड़ाई-झगड़ों से दूर रहें
नमुवाफिक़ उमूर पर सब्र
4. जंग से जुड़ी हिदायात
माद्दी और रूहानी हर ऐतबार से तैयारी पूरी रखो
अगल काफिर सुलह की तरहफ माएल हों तो सुलह करलो
5. हिजरत और नुसरत के फजाइल
मुहाजिरीन और अंसार सच्चे मोमिनीन हैं
गुवाहों की मगफिरत
रिज़्क़ ए करीम का वादा
दूसरा हिस्सा
सूरह तौबा की शुरुआती 93 आयात में तीन अहम बातें हैं
1. मुश्रिकीन से बराअत 2. ज़कात के मसारिफ 3. मुनाफिकीन की मजम्मत
1. मुश्रिकीन से बराअत
मुश्रिकीन से बराअत का ऐलान हुआ और उन्हें इस्लाम क़ुबूल करने या जज़ीरा नुमा अरब से बाहर जाने के लिए कई मोहलतें दी गईं जिन्हें चार कैटेगरी में तक़सीम कर उनके अमल और मुआहिदे के हिसाब से मोहलतें दी गईं
2. ज़कात के मसारिफ़
सूरह तौबा की आयत नम्बर आठ में ज़कात के 8 मसारिफ़ बयान किए गए हैं
1. फ़ुक़राअ 2. मिसकीन 3. सदक़ात वसूल करने वाले अहेलकार 4. वह लोग जिन्हें दिलदारहदी मक़सूद है 5. गुलामों को आज़ाद कराने के लिए 6. मक़रूज़ 7. अल्लाह की राह में 8. मुसाफिरीन
3. मुनाफिक़ीन की मजम्मत
मुसलमानों और मुनाफिक़ीन में इम्तियाज़ करने वाली चीज़ गज़वह ए तबूक बनी जिसमें मुसलमान तो चले गए मगर मुनाफिक़ीन बहाने तराशने लगे
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