Saturday, 1 April 2023

 बारहवां पारा 


इसके दो हिस्से हैं

 1.  सूरा हूद पूरा (इसकी पहली पांच आयतें ग्यारहवें पारे में हैं)

 2.  सूरह यूसुफ की 52 आयात


 (1) सूरह हुद में चार चीजें हैं:

 1.  पवित्र कुरान की महानता

 2.  तौहीद और तौहीद के दलाइल

 3.  रिसालत और अम्बिया के वाक़्यात

 4.  क़यामत का ज़िक्र


 1.  कुरान की महानता:


 (1) कुरान अपनी आयतों, अर्थों और विषयों की दृष्टि से एक मजबूत किताब है, और इसे किसी भी तरह से तहरीफ़ नहीं किया जा सकता है, न ही इसमें कोई विरोध या विरोधाभास है। इसकी ताकत का मुख्य कारण यह है कि इसकी व्याख्या उसी ने की है जो बुद्धिमान और ज्ञानी दोनों है, उसका हर काम किसी न किसी ज्ञान पर आधारित है और उसे मनुष्य के भूत, वर्तमान, भविष्य, उसके मनोविज्ञान, कमजोरियों और जरूरतों का अच्छा ज्ञान है।

 (2) क़ुरआन का खंडन करने वालों को चुनौती दी गई है कि यदि क़ुरआन वास्तव में मानवीय है तो आप भी इसी प्रकार के दस सूरह बनाकर लायें।


 2.  तौहीद और तौहीद के तर्क:

 वह अल्लाह है जो सभी प्राणियों को जीवन देता है, चाहे वे मनुष्य हों या जिन्न, मवेशी हों या पक्षी, पानी में रहने वाली मछलियाँ हों या पृथ्वी पर रेंगने वाले कीड़े हों, आकाश और पृथ्वी को अल्लाह ने बनाया है।


 3. रिसालत के ज़िमन में सात अम्बिया के वाक़्यात

 (1) हज़रत नूह अलैहिस्सलाम को उनके लोगों ने नहीं माना, कुछ को छोड़कर, उन्होंने अल्लाह के आदेश से कश्ती बनायी, मोमिन सुरक्षित रहे, बाकी डूब गए।

 (2) हजरत हूद अलैहिस्सलाम उनकी क़ौम के जो लोग ईमान लाए कामयाब हुए और बाक़ी सब लोगों पर अल्लाह का अज़ाब आ गया (आँधी के रूप में)।

 (3) हज़रत सालेह अलैहिस्सलाम की क़ौम के लोगों के अनुरोध पर अल्लाह ने पहाड़ से एक ऊंटनी निकाली लेकिन लोगों ने उसे मार डाला, और अल्लाह की सजा उन पर आ गई।

 (4) हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम की बीवी को अल्लाह ने उनके बुढ़ापे में एक बेटा इस्हाक दिया तो उनका एक बेटा याकूब अलैहिस्सलाम हुए 

 (5) हजरत लूत अलैहिस्सलाम उनकी क़ौम के लोग दुष्ट थे, उनका झुकाव औरतों की जगह लड़कों की ओर था, कुछ फ़रिश्ते ख़ूबसूरत नौजवानों का रूप बनाकर हज़रत लूत के पास आए, उनकी क़ौम के दुष्ट लोग भी वहाँ पहुँच गए, हज़रत लूत अलैहिस्सलाम ने उन्हें समझाया। लड़कियों से शादी करो, लेकिन वे नहीं माने, उन पर अल्लाह की सजा आ गई, यह बस्ती जमीन से उठा कर उलट दी गई और उन पर पत्थरों की सजा गिरा दी गई।

 (6) हज़रत शोएब अलैहिस्सलाम की क़ौम के लोग नाप तौल में कमी करते थे, जो लोग पैगम्बर की आज्ञा का पालन करते थे वे बच जाते थे, नाफ़रमानों पर चीख़ का अज़ाब आया

 (7) हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम की दावत को फ़िरऔन ने ठुकरा दिया, अल्लाह ने उसे और उसके साथियों को नाकाम कर दया


4. क़यामत का ज़िक्र

 क़ियामत के दिन दो तरह के लोग होंगे: (1) बदनसीब लोग (2) नेक लोग


 खुशनसीबों के लिए अल्लाह ने हमेशा जन्नत में बेशुमार नेमतें रखी हैं और बद बख्तों के लिए अज़ाब


दूसरा हिस्सा


 (2) सूरह यूसुफ में, हज़रत यूसुफ़ अलैहिस्सलाम का तफ्सीली वाक़्या की  है:


कुरान में तमाम पैगम्बरों की कहानियां बिखरी पड़ी हैं, लेकिन हजरत यूसुफ अलैहिस्सलाम की पूरी कहानी इसी सूरे में है। 


हज़रत यूसुफ़ अलैहिस्सलाम की कहानी:

हज़रत याकूब अलैहिस्सलाम के बारह बेटे थे, हज़रत यूसुफ़ अलैहिस्सलाम बहुत हसीन  थे, उनके पिता हज़रत याकूब अलैहिस्सलाम उनके चरित्र और रूप दोनों की सुंदरता के कारण उनसे बेहद प्यार करते थे।  एक बार हजरत यूसुफ़ अलैहिस्सलाम ने एक सपना देखा और अपने प्यारे पिता को अपना सपना बताया कि ग्यारह सितारे और चाँद और सूरज मुझे सजदा कर रहे हैं। उनके पिता ने उन्हें मना किया था कि वह इस सपने को अपने भाइयों को न बताएं। इस वजह से भाइयों को जलन हुई, वे हज़रत यूसुफ़ अलैहिस्सलाम को अपने पिता से तफरीह का कहकर  जंगल में ले गए और एक कुएँ में गिरा दिया। एक काफिले ने उन्हें वहां से निकाला काफिला मिस्र गया और बेचा अजीज़ ए मिस्र ने उन्हें अपने यहां रख लिया जवान हुए तो अजीज-ए-मिस्र की बीवी आपके इश्क में गिर गई उसने बुराई की दावत दी आप ने ठुकरा दी अजीज ए मिस्र ने बदनामी से बचने के लिए आपको जेल में डाल दिया, यहां तक ​​कि जेल में भी  दावत-ए-तौहीद का सिलसिला जारी रखा, जिसके कारण कैदी उसका सम्मान करते थे। एक ख्वाब की सही ताबीर के बाद अजीज ने मिस्र , उसने आपको राजकोष, व्यापार और राज्य का स्वतंत्र मंत्री बनाया, मिस्र और गर्दूपेश में अकाल के कारण, आपके भाई अनाज लेने के लिए मिस्र आए, कुछ वक्त आपने उनसे कहा कि मैं आपका भाई यूसुफ हूँ, फिर आपका माता-पिता भी मिस्र आ गए और वे सब यहीं बस गए... 


हज़रत यूसुफ़ के क़िस्से से सबक़ :

 (1) साहचर्य के बाद राहत मिलती है।  (2) ईर्ष्या एक भयानक रोग है।  (3) अच्छे संस्कार हर जगह काम आते हैं।  (4) पवित्रता सभी अच्छाई का स्रोत है।  (5) गैर-महरम पुरुषों और महिलाओं का इख्तेलात तन्हाई में नहीं किया जाना चाहिए। (6) ईमान की बरकत से परेशानी आसान हो जाती है।  (7) विपत्ति को पाप से अधिक तरजीह दी जानी चाहिए।  (8) दाई जेल में भी दावत देता  है।  (9) तोहमत लगाने से बचना चाहिए।  (10) सबने उसकी गवाही दी जो सत्य पर थाः अल्लाह तआला, स्वयं हज़रत यूसुफ़, अज़ीज़ मिस्र की पत्नी, औरतों ने, अज़ीज़ मिसर के परिवार के एक फर्द ने

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