सातवां पारा
इस पारे में दो हिस्से हैं
1. सूरह माएदा की आखिरी 32 आयात
2. सूरह अनआम की इब्तेदाई 110 आयात
सूरह माएदा की आखिरी 32 आयात में तीन अहम बातें हैं
1. हबसा के नसारा (ईसाई) की तारीफ़
2. हलाल ओ हराम के चंद मसाइलह
3. आसमानी दरतरख्वान का क़िस्सा
1. हबसा के ईसाईयों की तारीफ़
जब उनके सामने क़ुरआन ए करीम की तिलावत की जाती है तो उनकी आंखें आंसुओं से तर हो जाती हैं उनकी दाढ़ियां तर हो जाती हैं और हिचकियाँ बंध जाती हैं
2. हलाल ओ हराम के चंद मसाइलह
1.किसी चीज़ को खुद से हलाल या हराम न बनाओ
2.बिला इराद जो क़सम ज़बान पर ज़ारी हो जाए उसपर कोई मुवाखज़ह नहीं
3.क़सदन क़सम खाकर तोड़ देने का कफ्फारा ये है कि तीन में से कोई एक काम कर लिया जाे
दस मिस्कीनों को खाना खिलाया जाए या उन्हें पहनने के लिए कपड़े दे दिए जाएं या एक गुलाम आज़ाद कर दिया जाए और ये तीन काम न कर सकने की सूरत में तीन रोज़े रखे जाएं...
अपनी क़सम की हिफाज़त करना ज़रूरी है बिलाज़रूरत क़सम तोड़ने की इजाज़त नहीं
शराब जुआं बुत और पांसा हराम है
हालत ऐहराम में खुश्की के जानवरजानवरों का शिकार करने की इजाज़त नहीं अलबत्ता समंदर का शिकार जाएज़ हैं...
हरम में दाखिल होने वाले के लिए अमन है...
3. आसमानी दस्तरख्वान का क़िस्सा
हवारिया ने हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम से कहा कि अल्लाह तआला से कहो कि हम पर ऐसा दस्तरख्वान उतारे जिस में खाने पीने की आसमानी नेमतें हों, ईसा अलैहिस्सलाम ने अल्लाह से दरख्वास्त की, अल्लाह तआला ने इरशाद फ़रमाया : मैं तुम पर वह दस्तरख्वान उतारूंगा सेकिन उसके बाद तुम में जो शख्स कुफ्र करेगा उसे मैं ऐसी सजाएं दूंगा जो दुनिया जहान में किसी भी शख्स को नहीं दूंगा... तिर्मिजी शरीफ की एक रिवायत के मुताबिक दस्तरख्वान उतारा गया और फिर जिन लोगों ने नाफरमानी की वह दुनिया में ही अज़ाब का शिकार हुए..
#दूसरा_हिस्सा
सूरह अनआम की 110 आयात में तीन अहम बातें हैं :
1. तौहीद 2. रिसालत 3. क़यामत
1. तौहीद
इस सूरत में अल्लाह तआला की हम्द ओ सना और अज़मत ओ किबरियाई बयान हुई है
2. रिसालत
इस सूरत में नबी ए करीम ﷺ की तसल्ली के लिए अल्लाह तआला ने अठारह अम्बिया ए कराम की ज़िक्र फरमाया है
3. क़यामत
क़यामत के रोज़ अल्लाह तमाम इंसानों को जमा करेगा , रोज़ ए क़यामत किसी इंसान से अज़ाब का टलना उस पर अल्लाह की बड़ी मेहरबानी होगी
मुश्रिकीन से मुतालबा किया जाएगा कि कहां है तुम्हारे शुरकाअ???
उस रोज़ जहन्नमी तमन्ना करेंगेकि कि काश! उन्हें दुनिया में लौटा दिया जाए ताकि वह अल्लाह रब की आयात को न झुठलाएं और ईमान वाले बन जाएं , दुनिया की ज़िन्दगी तो खेल और तमाशा है , आखिरत की ज़िन्दगी बहुत ज़्यादा बेहतर है...
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