"नमाज़ी"
जन्नत में अपना मकां बनाते है नमाज़ी
सज़दे के लिए सर को झुकाते है नमाज़ी
चेहरे की चमक देख के लगता है कुछ ऐसा
कि नूरे हिदायत में नहाते है नमाज़ी
वो चैन-व-सुकूं कोई पाता नहीं है ,
जो चैन-व-सुकूं सज़दे में पाते है नमाज़ी
फरहत हो, ख़ुशी हो, रंज-ओ-अलम फिर
हर हाल में गुण रब के ही गाते है नमाज़ी
हो दोस्त कोई सामने या दुश्मन-ए-जानी
हक़ बात हर इंसान को सुनाते है नमाज़ी
रिफ़अत से हकीकत भी ज़रा गौर से सुनले
शैतान की जमाअत को रुलाते है नमाज़ी
जन्नत में अपना मकां बनाते है नमाज़ी
सज़दे के लिए सर को झुकाते है नमाज़ी
चेहरे की चमक देख के लगता है कुछ ऐसा
कि नूरे हिदायत में नहाते है नमाज़ी
वो चैन-व-सुकूं कोई पाता नहीं है ,
जो चैन-व-सुकूं सज़दे में पाते है नमाज़ी
फरहत हो, ख़ुशी हो, रंज-ओ-अलम फिर
हर हाल में गुण रब के ही गाते है नमाज़ी
हो दोस्त कोई सामने या दुश्मन-ए-जानी
हक़ बात हर इंसान को सुनाते है नमाज़ी
रिफ़अत से हकीकत भी ज़रा गौर से सुनले
शैतान की जमाअत को रुलाते है नमाज़ी
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