( सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम)
मुहम्मद जहां में कमर बनके आये
ज़माने में खैरुल बशर बनके आये
बहुत से नबी यूँ तो आये जहाँ में
मगर मुस्तुफा तो गहर बनके आये
वही जिनपे सदक़े मेह व मेहर अंजुम
वही ज़ुल्मतों में सहर बनके आये
जहां से जहालत मिटाने की खातिर
मुहब्बत का आप समर बनके आये
हमारे नबी सुबह सादिक़ सवेरे
उजालो की रंगीन खबर बनके आये
मेरे जान व दिल राज़ उनपे तसद्दुक
जो दुनिया में शम्स ओ कमर बनके आये
मुहम्मद जहां में कमर बनके आये
ज़माने में खैरुल बशर बनके आये
बहुत से नबी यूँ तो आये जहाँ में
मगर मुस्तुफा तो गहर बनके आये
वही जिनपे सदक़े मेह व मेहर अंजुम
वही ज़ुल्मतों में सहर बनके आये
जहां से जहालत मिटाने की खातिर
मुहब्बत का आप समर बनके आये
हमारे नबी सुबह सादिक़ सवेरे
उजालो की रंगीन खबर बनके आये
मेरे जान व दिल राज़ उनपे तसद्दुक
जो दुनिया में शम्स ओ कमर बनके आये
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