उठते है कहा से ये फिरके , और फतवे कहा से आते है
मालूम करो के मजहब में, ये फितने कहा से आते है
सुन्नी ये है, शिया वो है, सही ये है, गलत वो है ,
इस कौम के होंठो पे , ये जुमले कहा से आते है ,
एक है अल्लाह, एक पैग़म्बर, एक कलमा, एक किताब,
तो फिर ऐ आलिमो, रोज़-रोज़ के तुम्हारे ये झगडे कहा से आते है
करते है जो दिन रात तकरीरे प्यारे नबी की ग़ुरबत व सहाबा किराम की सादगी की ,
फिर जिस्म में उनके महंगे-महंगे ये कपडे कहा से आते है ?
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