Friday, 8 April 2016

(अन्सार से मुहब्बत ईमान की पहचान है)

अंनस र. अ. से रिवायत है कि नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया :

"ईमान की निशानी अन्सार से मुहब्बत रखना और निफ़ाक़ की निशानी अन्सार से कीना (जलन) रखना है।"
(बुखारी)

हदीस शरीफ 
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया :
"गुनाहों से तौबा करने वाला ऐसा है ,
जैसे उसने गुनाह किया ही नहीं।"
(इब्ने माज़ा, जिल्द - 2 .हदीस 205) 

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