जुमे के लिए रवानगी का बयान
अबु अब्स र. अ. से रिवायत है कि
वह जुमे की नमाज़ को जाते वक़्त कहने लगे
मैं नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को यह फरमाते हुए सुना कि
"जिस आदमी के दोनों पाँव अल्लाह की राह में धुल मिट्टी से सने तो
अल्लाह तआला ने उसे दोज़ख की आग पर हराम कर दिया है। "
(सहीह बुखारी)
हया (शर्म) ईमान का हिस्सा है
अब्दुल्लाह बिन उमर र. अ. से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम एक आदमी के पास से गुजरे ,
जबकि वह अपने भाई को समझा रहा था कि तू इतनी शर्म क्यों करता है ?
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने उससे फ़रमाया :
"उसे अपने हाल पर छोड़ दो, क्यूंकि शर्म तो ईमान का हिस्सा है।"
(बुखारी हया मीनल ईमान )
जुमे की एक घडी (जिसमे दुआ क़ुबूल होती है)
अबु हुरैरा र. अ. से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने जुमे के दिन ख़ुत्बे के बीच फ़रमाया :
"इसमें एक घडी ऐसी है कि अगर ठीक घडी में मुसलमान बन्दा खड़े होकर नमाज़ पढ़े और अल्लाह तआला से कोई
चीज़ मांगे तो अल्लाह तआला उसको वह चीज़ जरूर देता है और आपने अपने हाथ से इशारा करके बताया कि वह
घडी थोड़ी देर के लिए आती है। "
(बुखारी)
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