Wednesday, 6 April 2016

इमाम ए हरम शेख सालेह अल इब्राहीम ने दारुल उलूम देवबंद में क्या कहा ...
इमाम ए हरम शेख सालेह अल इब्राहीम ने देवबंद में एक तहरीर लिखी है आइये जानते हैं अपनी इस तहरीर में उन्होंने क्या लिखा है
"दारुल उलूम देवबंद पूरी दुनिया के लिए एक मीनारा ए नूर है
इस्लाम पर चारो ओर से यलगार है इसलिए मिल्ली वहदत के जरिये ही इसका मुकाबला किया जा सकता है मुसलमान अपने अख़लाक़ इ हुस्ना के जरिये से ही दुनिया फतह कर सकते हैं
इस्लाम अमन का पैयम्बर है बदअमनी और दहशत गर्दी से इसका कोई वास्ता नही दहशतगर्दी और इस्लाम दो मुताजाद पहलु हैं दारुल उलूम देवबंद पूरी दुनिया के लिए मीनारा ए नूर की हैसीयत रखता है दारुल उलूम देवबंद के उलमा ने ऐसे कारनामे अंजाम दिये हैं जिसकी गूँज दुनिया के कोने कोने में पहुंची है सऊदी अरब की हुकूमत उलमा और अवाम दारुल उलूम देवबंद के उलमा को और हिन्द के मुसलमानों को सलाम पेश करती है और तमाम मुसलमानों में आपसी इत्तेहाद मुहब्बत की बाहमी जरूरत पर ज़ोर देती है सऊदी अरब तमाम मुस्लिम मुमालिको के साथ बाहमि इत्तेहाद और राब्ते को फरोग देने का ख्वाहिशमंद है
फिकह इस्लामीया के मसले पर इमाम ए हरम ने कहा तमाम आइम्मा बरहक और लाइके अहतराम हैं इस वक्त हरमैन शरीफैन में चारों फिकही मसालिक की तालीम होती है और सऊदी उलमा ने फिकह हनफी की किताबों पर बहुत से इल्मी काम किये हैं मुसलमानों का अकीदा और उसूल ए दीन में कोई इख्तिलाफ नही है बलके फुरूई इख्तिलाफ हैं जो अहद सहाबा के दौर में भी थे ऐसे इख्तिलाफ उम्मत के लिए रहमत हैं उम्मत की पसमांदगी की वजह कुरआन और हदीस से दूरी है इसी दूरी की वजह से मुसलमानों में फिकरी इन्हिएराफ़ और इख्तिलाफ पैदा हुआ है कुछ नाम नेहाद इस्लामी तंज़ीमें जो कुछ भी कर रही हैं वो उनका ज़ाती अमल है इस्लाम का उससे कोई वास्ता नही
मुसलमानो को हर तरह कीे गिरोहबंदी और इख्तिलाफ से बचना चाहिए आज उम्मत निहायत संगीन फ़ितनो से घिरी हुई है इसलिए मिल्ली वहदत आज वक्त की सबसे बड़ी जरूरत है हमे कुरआन व हदीस ए नबवी सल्ल की तरफ पलटना और उसे अपना मकसद ए हयात बनाना है
इमाम ए हरम ने तमाम मुसलमानों से मुखातिब होकर कहा वो मायूस न हों पूरी कुव्वत के साथ इस्लाम पर अमल पैरा हों और अपने अख़लाक़ और अमल के जरिये इस्लाम का तारुफ़ पेश करें उन्होंने ज़ोर देकर कहा इस्लाम का मुस्तकबिल रौशन है
दारुल उलूम देवबंद के सिलसिले में उन्होंने कहा दारुल उलूम देवबंद की शोहरत आलम के चारों ओर फैली हुई है इसकी बरकत दुनिया के गोशे गोशे में दिखाई देती है
देवबंद के उलमा और मुस्न्निफीन का फैजान पूरी दुनिया में फैला और ज़मानो मकान की हुदूद को पार कर गया "

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