तौहीद का मूल वहद हैं और इसके मसादिर मे से वह्द और वहदत ज़्यादा मशहूर हैं जिसका मतलब हैं अकेला और बेमिसाल होना वहीद या वहद उस ज़ात को कहते है जो अपनी ज़ात मे और अपनी सिफ़ात(गुणो) मे अकेला हो अरबी मे वहद का वाव हमज़ा मे बदल कर अहद बना हैं जिसका मतलब सिफ़ात मे अकेला और बेमिसाल हैं और कोई दूसरा उस जैसा नही जो उसकी ज़ात और सिफ़ात मे शरीक हो..!
तौहीद की तीन किस्मे होती हैं- 1. तौहीद ज़ात(रबूबियत), 2. तौहीद इबादत(उलुहियत), 3. तौहीद अस्मा व सिफ़ात(नाम व गुण)
इंशाअल्लाह आने वाली पोस्टो मे आप भाईयो तक तौहीद से ताल्लुक अल्लाह की बहुत अहम बातो को पहुचाना मै अपनी जिम्मेदारी समझता हूं ...!!
अल्लाह हमे अमल की तौफीक अता करे..!
अल्लाह हमे अमल की तौफीक अता करे..!
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