#1_तौहीद_ए_ज़ात(रबूबियत)
1.तौहीद ए ज़ात यह हैं के अल्लाह तालाह को उसकी ज़ात मे अकेला बेमिसाल और लाशरीक माना जाये न उसकी बीवी हैं न औलाद, न मां न बाप वह किसी से नही पैदा न ही कोई उसकी ज़ात का हिस्सा हैं
यहूदी उज़ैर अलै0 को अल्लाह का बेटा मानते हैं और ईसाई ईसा अलै0 को अल्लाह का बेटा मानते हैं अल्लाह ने कुरान मे दोनो गिरोह के इस अकीदे की सख्ती से मज़म्मत की-(सूरह तौबा सूरह नं0 9 आयत नं0 30)
मुश्रकीने मक्का फ़रिश्तो को अल्लाह की बेटीया करार देते थे अल्लाह ने कुरान मे उन के इस बेबुनियाद अकीदे की मज़म्मत की-(सूरह अंबिया 21/26)
इसके अलावा बाज़ मुश्रिके मक्का जिन्नो और इन्सानो को भी अल्लाह की ज़ात का जुज़(हिस्सा) समझते थे और बाज़ कायनात की हर चीज़ मे अल्लाह को शामिल कहते थे- अल्लाह ने कुरान मे उन के इस बेबुनियाद अकीदे की मज़म्मत की-(सूरह ज़ुखुरुफ़ 43/15)
इन तमाम आयतो से निचोड़ सिर्फ़ ये है कि अल्लाह का न कोई खानदान न कोई औलाद न बीवी न कोई उसकी खुदाई मे साझेदार हैं न उसने किसी जानदार को अपने नूर से पैदा किया न ही कोई उसके नूर का जुज़(हिस्सा) हैं वो लाशरीक हैं ..!
तौहीदे ज़ात के बारे मे यह बात ज़हन नशीन रहनी चाहिये के अल्लाह की ज़ात अर्श पर जलवा फ़रमा हैं जैसा के कुरान और हदीस से साबित हैं| अलबत्ता हर चीज़ अल्लाह के इल्म मैं हैं के कहां कब क्या हैं और क्या हो रहा हैं..!!
कुफ़्फ़ारे मक्का ने आप सल्लललाहो अलैहोवसल्लम से पूछा के आप सल्लल लाहो अलैहे वसल्लम जिस हस्ती की दावत देते हैं उसका हसब-नसब क्या हैं वह किस चीज़ से बना हैं, वह क्या खाता हैं, क्या पीता हैं, उसने किससे विरासत पाई और उसका वारिस कौन होगा ?
इन सवालो के जवाब मे अल्लाह ने क़ुरान मे (सूरह इख्लास 112/1-4) नाज़िल फ़रमाई.!!
#अल्लाह_हमे_तौहीद को समझने की तौफीक अता करे..!!!
1.तौहीद ए ज़ात यह हैं के अल्लाह तालाह को उसकी ज़ात मे अकेला बेमिसाल और लाशरीक माना जाये न उसकी बीवी हैं न औलाद, न मां न बाप वह किसी से नही पैदा न ही कोई उसकी ज़ात का हिस्सा हैं
यहूदी उज़ैर अलै0 को अल्लाह का बेटा मानते हैं और ईसाई ईसा अलै0 को अल्लाह का बेटा मानते हैं अल्लाह ने कुरान मे दोनो गिरोह के इस अकीदे की सख्ती से मज़म्मत की-(सूरह तौबा सूरह नं0 9 आयत नं0 30)
मुश्रकीने मक्का फ़रिश्तो को अल्लाह की बेटीया करार देते थे अल्लाह ने कुरान मे उन के इस बेबुनियाद अकीदे की मज़म्मत की-(सूरह अंबिया 21/26)
इसके अलावा बाज़ मुश्रिके मक्का जिन्नो और इन्सानो को भी अल्लाह की ज़ात का जुज़(हिस्सा) समझते थे और बाज़ कायनात की हर चीज़ मे अल्लाह को शामिल कहते थे- अल्लाह ने कुरान मे उन के इस बेबुनियाद अकीदे की मज़म्मत की-(सूरह ज़ुखुरुफ़ 43/15)
इन तमाम आयतो से निचोड़ सिर्फ़ ये है कि अल्लाह का न कोई खानदान न कोई औलाद न बीवी न कोई उसकी खुदाई मे साझेदार हैं न उसने किसी जानदार को अपने नूर से पैदा किया न ही कोई उसके नूर का जुज़(हिस्सा) हैं वो लाशरीक हैं ..!
तौहीदे ज़ात के बारे मे यह बात ज़हन नशीन रहनी चाहिये के अल्लाह की ज़ात अर्श पर जलवा फ़रमा हैं जैसा के कुरान और हदीस से साबित हैं| अलबत्ता हर चीज़ अल्लाह के इल्म मैं हैं के कहां कब क्या हैं और क्या हो रहा हैं..!!
कुफ़्फ़ारे मक्का ने आप सल्लललाहो अलैहोवसल्लम से पूछा के आप सल्लल लाहो अलैहे वसल्लम जिस हस्ती की दावत देते हैं उसका हसब-नसब क्या हैं वह किस चीज़ से बना हैं, वह क्या खाता हैं, क्या पीता हैं, उसने किससे विरासत पाई और उसका वारिस कौन होगा ?
इन सवालो के जवाब मे अल्लाह ने क़ुरान मे (सूरह इख्लास 112/1-4) नाज़िल फ़रमाई.!!
#अल्लाह_हमे_तौहीद को समझने की तौफीक अता करे..!!!
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