Sunday, 27 March 2016

तनक़ीद नहीं, इसलाह ।
अगर किसी बहन को पर्दे कि दावत दी जाय तो जवाब मिलता है: कि दिल का पर्दा होना चाहिये ।
उन तमाम बेपर्दा बहनों से मेरा एक सवाल है के:
क्‍या आप के दिल उम्मुल मोमनीन से ज़्यादा पाकीज़ा हैं ?
नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की बेटियों से ज़्यादा ताहिर-ओ-अत्‍हर है?
सहाबा-ए-किराम की घर वालियों से ज़्यादा पाक साफ़ हैं?
यह वो अज़ीम हस्‍तियाँ हैं । जिनसे अल्‍लाह राज़ी है । और उनको पर्दे का हुक्‍म देता है ।
रसूल-ए-पाक (सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम) ने फरमाया- जब मुझे मेराज पर ले जाया गया तो मैंने देखा कि मेरी उम्मत कि बहुत सी औरते सख्त अजाब मे मुबतिला थी। उन के सर के "बाल "जहन्नुम की दिवारो से बंधे हुए थे. ये वो औरते थी जो अपने सर के बाल गैर-महरम से नहीं छुपाती थी. कयामत के दिन जब परदे का सवाल किया जायेगा तो 1 औरत 4 जन्नती मर्दो को दोजख मे लेकर जायेगी. 1-बाप, 2-भाई, 3-शौहर, 4-बेटा.

अल्लाह पाक कहने-सुनने से ज्यादा अमल करने की तौफिक अता फरमाये........आमीन.

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