Tuesday, 22 March 2016

विचारधारा - इब्ने तैमिया , 
मुहम्मद बिन अब्दुल वहाब 
अरब के इलाक़े नजद के एक क़स्बा अलेना (उयाना) में 1703 ईस्वी में पैदा हुए।
उस साल दिल्ली में शाह वलीउल्लाह भी पैदा हुए। वो बड़े जहाँ याददाश्त वाले थे। 
10 साल की  उम्र में क़ुरआन हिफ़्ज़ कर लिया। शुरुआती तालीम हासिल करने के बाद उन्होंने मक्का और मदीना मुनव्वरा में जाकर क़ुरआन व हदीस की तालीम हासिल की। 
1158 हिजरी में नजद के एक शहर दरहया के अमीर मुहम्मद बिन सऊद (मुतवफ़्फ़ी 1765 ईस्वी) ने उनके हाथ पर बैअत कर ली। अम्र बिल मारूफ व नहीं अनिल मुन्कर पर अमल करने का अहद किया और किताबो सुन्नत के बताये हुए तरीको पर चलने पर आमदगी जाहिर की। अमीर मुहम्मद बिन सऊद की मदद से उनकी तहरीक सारे नज्द में फेल गई और अमीर की हुकूमत भी शहर दरहया से बढ़कर सारे नज्द में क़ायम हो गई। 
मुहम्मद बिन अब्दुल वहाब ने 50 साल तब्लीग का काम अंजाम देने के बाद वफ़ात पाई। वो कही किताबो के मुसन्निफ़ थे। जिसमे किताबुत्तोहिद मशहूर है। मुहम्मद बिन अब्दुल वहाब की तहरीक ने इस्लामी दुनिया पर गहरा असर डाला। 
सलफ़ी स्वालिहीन का तरीका ही इनके करीब बेहत्तर है और क़ुरआन व सहीह अहादीस को ही अपना कर चलते है। 

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