हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया :
"जिन्नात की तीन किस्में है , एक वह जो हर समय फ़िज़ा में घूमते रहते है
दूसरी वह जो साँपो और कुत्तो की शक्ल में रहती है , तीसरी किस्म वह है जो
जमीन पर किसी जगह क़याम करती है या खानाबदोशी को हालत में रहती है।"
(तबरानी और हाकिम ने इसे नक़ल किया है)
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