इस्लाम में सहर (जादू) हराम है।
अबु उस्मान से रिवायत है खलीफा वलीद बिन अब्दुल मलिक (705-715 अहद खिलाफत) के दरबार में एक शख्स था। जो जादू के करिश्मे दिखाया करता था। एक बार उसने एक व्यक्ति का सर उसके तन से बिलकुल जुदा कर दिया। जब यह हैबतनाक मंजर देखकर लोग चकित व स्तब्ध रह गए तो उसने उससे भी बड़ा करतब यह दिखाया कि उसका सर दोबारा उसके जिस्म से जोड़ दिया और वह व्यक्ति बिलकुल ऐसा हो गया जैसे कभी उसका सर तन से जुदा हुआ ही नहीं था।
देखनेवालो ने ज़ोरदार नारा लगाया सुभानअल्लाह ! इसने तो मुर्दा को ज़िंदा कर दिया।
सहाबी जुंदल असदी र. अ. ने वलीद के दरबार में इस हंगामा के बारे में सुना तो वह दरबार में आये।
जब जादूगर ने अपना खेल शुरू किया तो यकायक वह सहाबी भीड़ में से एक नंगी तलवार लिए बरआमद (हाजिर) हुए और उस मक्कार शोबदाबाज का सर तन से जुदा कर दिया
फिर उन्होंने हैरतज़दा लोगो से कहा :
अगर वास्तव में यह जादूगर सच्चा है तो अब यह स्वयं को इसी तरह ज़िंदा करके दिखाए जिस तरह कल
उसके सरबरिदा व्यक्ति को किया था।
वलीद ने सहाबी जुंदल असदी र. अ. को गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया।
(बुखारी)
अबु उस्मान से रिवायत है खलीफा वलीद बिन अब्दुल मलिक (705-715 अहद खिलाफत) के दरबार में एक शख्स था। जो जादू के करिश्मे दिखाया करता था। एक बार उसने एक व्यक्ति का सर उसके तन से बिलकुल जुदा कर दिया। जब यह हैबतनाक मंजर देखकर लोग चकित व स्तब्ध रह गए तो उसने उससे भी बड़ा करतब यह दिखाया कि उसका सर दोबारा उसके जिस्म से जोड़ दिया और वह व्यक्ति बिलकुल ऐसा हो गया जैसे कभी उसका सर तन से जुदा हुआ ही नहीं था।
देखनेवालो ने ज़ोरदार नारा लगाया सुभानअल्लाह ! इसने तो मुर्दा को ज़िंदा कर दिया।
सहाबी जुंदल असदी र. अ. ने वलीद के दरबार में इस हंगामा के बारे में सुना तो वह दरबार में आये।
जब जादूगर ने अपना खेल शुरू किया तो यकायक वह सहाबी भीड़ में से एक नंगी तलवार लिए बरआमद (हाजिर) हुए और उस मक्कार शोबदाबाज का सर तन से जुदा कर दिया
फिर उन्होंने हैरतज़दा लोगो से कहा :
अगर वास्तव में यह जादूगर सच्चा है तो अब यह स्वयं को इसी तरह ज़िंदा करके दिखाए जिस तरह कल
उसके सरबरिदा व्यक्ति को किया था।
वलीद ने सहाबी जुंदल असदी र. अ. को गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया।
(बुखारी)
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