(शिर्क के तरीके )
वर्तमान दौर के ईसाई ईसा अ. स. को खुदा का अवतार मानते है
इस अक़ीदे के मुताबिक़ सृष्टा को सृष्टि बना दिया गया और यह शिर्क की स्पष्ट मिसाल है।
लेबनान का दरोजी सम्प्रदाय यह अक़ीदा रखता है कि फातिमी खलीफा अल हाकिम बि अमरिल्लाह इंसानो के बीच अल्लाह का आखिरी अवतार था।
एक सम्प्रदाय इस्माइलिया है जो आगाखानी के नाम से प्रसिध्द है, उसके अक़ीदे के मुताबिक़ आगा खां (उनका रूहानी नेता) खुदा का अवतार है।
कैथोलिक ईसाई हज़रत मरयम को खुदा की माँ करार देकर उनकी पूजा करते है। इसी के साथ वे फरिश्तो की पूजा भी करते है।
मिकाइल फ़रिश्ते के नाम पर 8 मई और 29 सितम्बर को उत्सव आयोजित किये जाते है , उसे यौमे मिकाइल कहा जाता है , अर्थात सुन्नते मिकाइल की पूजा का दिन (विलियम हेल्सी, कार्ल्ज़ इनसाइक्लोपीडिया) इसी तरह वह इंसान वलियो की पूजा भी करते है जो चाहे वे हकीकी हो या फ़र्ज़ी !
वर्तमान दौर के ईसाई ईसा अ. स. को खुदा का अवतार मानते है
इस अक़ीदे के मुताबिक़ सृष्टा को सृष्टि बना दिया गया और यह शिर्क की स्पष्ट मिसाल है।
लेबनान का दरोजी सम्प्रदाय यह अक़ीदा रखता है कि फातिमी खलीफा अल हाकिम बि अमरिल्लाह इंसानो के बीच अल्लाह का आखिरी अवतार था।
एक सम्प्रदाय इस्माइलिया है जो आगाखानी के नाम से प्रसिध्द है, उसके अक़ीदे के मुताबिक़ आगा खां (उनका रूहानी नेता) खुदा का अवतार है।
कैथोलिक ईसाई हज़रत मरयम को खुदा की माँ करार देकर उनकी पूजा करते है। इसी के साथ वे फरिश्तो की पूजा भी करते है।
मिकाइल फ़रिश्ते के नाम पर 8 मई और 29 सितम्बर को उत्सव आयोजित किये जाते है , उसे यौमे मिकाइल कहा जाता है , अर्थात सुन्नते मिकाइल की पूजा का दिन (विलियम हेल्सी, कार्ल्ज़ इनसाइक्लोपीडिया) इसी तरह वह इंसान वलियो की पूजा भी करते है जो चाहे वे हकीकी हो या फ़र्ज़ी !
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