जुमा के दिन अच्छी तरह ग़ुस्ल करने पर, ख़ुशबू लगा कर पैदल नमाज़ ए जुमा के लिए जाने पर, इमाम के क़रीब बैठने और ख़ामुशी के साथ ख़ुत्बा सुनने पर तीन बड़ी फ़ज़िलत है -
1. नमाज़ ए जुमा के लिए पहले आने वाले को ऊंट की क़ुर्बानी का सवाब मिलता है, फिर उसके बाद आने वाले को गाय की, फिर उसके बाद आने वाले को दुंबे की, फिर उसके बाद आने वाले को मुर्ग़ी की क़ुर्बानी का सवाब मिलता है । [बुखारी: 929]
2. हर क़दम के बदले एक साल के रोज़ों और एक साल के क़याम का सवाब मिलता है । [अबु दाऊद: 345]
3. एक जुमा से लेकर दुसरे जुमा तक के गुनाह बख़्श दिए जाते हैं । [बुखारी: 883]
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1. नमाज़ ए जुमा के लिए पहले आने वाले को ऊंट की क़ुर्बानी का सवाब मिलता है, फिर उसके बाद आने वाले को गाय की, फिर उसके बाद आने वाले को दुंबे की, फिर उसके बाद आने वाले को मुर्ग़ी की क़ुर्बानी का सवाब मिलता है । [बुखारी: 929]
2. हर क़दम के बदले एक साल के रोज़ों और एक साल के क़याम का सवाब मिलता है । [अबु दाऊद: 345]
3. एक जुमा से लेकर दुसरे जुमा तक के गुनाह बख़्श दिए जाते हैं । [बुखारी: 883]
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