Saturday, 27 September 2014

rasul se muhabbat ki nishani

रसूल की मुहब्बत का वास्तविक पैमाना -
रसूले अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से मुहब्बत और इश्क़ हर मुसलमान के ईमान का हिस्सा बल्कि ठीक -ठीक ईमान है।
खुद रसूल-ए-अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया है :
"कोई आदमी उस वक़्त तक मोमिन नहीं हो सकता जब तक अपनी औलाद,माँ - बाप और बाकी तमाम लोगों के मुकाबले में मुझसे ज्यादा मुहब्बत न करता हो। " (बुखारी , मुस्लिम )

जो लोग अल्लाह और रसूल सल्लल्लाहु वसल्लम की आज्ञा का पालन करेंगे वे उन लोगो के साथ होंगे जिन पर अल्लाह ने इनाम फ़रमाया है अर्थात नबियों , सिद्दीक़ीन , शुहदा और स्वालेहीन , कैसे अच्छे है यह साथी जो किसी को मिल जाये।" (सूरह निसा :69 )

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