कव्वाली हराम है और इसकी सख्त मज़म्मत होनी चाहिए। मेरा तो यही मानना है चाहे सूफी लोग इसका कितना ही समर्थन करे लेकिन यह अल्लाह के रसुल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की सुन्नत बिलकुल नहीं है।
और इसका गुनाह क़व्वाली करने वालों के साथ - साथ सुनने वालों पर भी पड़ेगा।
हमारा दीन अल्लाह का फरमान और रसूल की हदीस है।
और इसका गुनाह क़व्वाली करने वालों के साथ - साथ सुनने वालों पर भी पड़ेगा।
हमारा दीन अल्लाह का फरमान और रसूल की हदीस है।
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