Sunday, 28 September 2014

इमाम अबु हनीफा र. अ. फरमाते है की ,

लोगों ! दीन में अपनी अक़्ल से बात करने से बचो और सुन्नत-ए-रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की पैरवी को अपने लिए ज़रूरी समझो, जो कोई सुन्नत से हटा , वो गुमराह हो गया। '
(इसका बयान इमाम शअरानी ने अपनी किताब अल - मीज़ान में किया है )

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