Sunday, 14 September 2014

maszid.......

मस्जिदों का बयान

"और मस्जिदें अल्लाह तआला के लिए है (उसकी इबादत के लिए ) अल्लाह तआला के साथ किसी को मत पुकारो।  (सूरह जिन्न ,18 )
हज़रत आइशा र. अ. फरमाती है "रसूलुल्लाह सल्ललाहु अलैहि वसल्लम ने मुहल्लों में मस्जिदे बनाने का हुक्म दिया है ,और ये की इनको साफ - सुथरा और खुशबूदार रखा जाये। " (अबु दाऊद )

"हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर र.अ. से रिवा
   यत है की रसूलुल्लाह सल्ललाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया , "जब औरतें तुमसे इज़ाज़त मांगे तो उनको मस्जिदो के हिस्से में जाने से मना न करो। " (मुस्लिम,नसाई )

"हज़रत अबु क़तादा र. अ. से रिवायत है -"जब तुममे से कोई मस्जिद में दाखिल हो तो बैठने से पहले दो रकअते अदा करे। (बुखाररी,मुस्लिम,तिर्मिज़ी )

हज़रत अबु हुरैरह र. अ. से मरवी है की रसूलुल्लाह सल्ललाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया -"जो शख्श किसी आदमी को मस्जिद में गुमशुदा चीज़ का ऐलान करते हुए सुने तो वो उसे कह दे की अल्लाह तआला तेरी चीज़ तुझ पर न लौटाए। क्योंकि , मस्जिदे इसलिए नहीं बनाई गयी है।  (मुस्लिम)

  

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