सोलहवां पारा
इस पारे में तीन हिस्से हैं
1. सूरह कहफ़ का बाक़ी हिस्सा
2. सूरह मरियम पूरी
3. सूरह ताहा पूरी
❶ "सूरह कहफ के बाकी" हिस्से में दो चीजें हैं:
1. हज़रत मूसा और खिज़्र अलैहिस्सलाम का क़िस्सा (जो पंद्रहवें पारे के अंत में शुरू होता है और सोलहवें पारे के शुरुआत में समाप्त होता है)
2. ज़ुल-करनैन की क़िस्सा
¤ 1. हजरत मूसा और खिज़्र अलैहिस्सलाम सलाम का क़िस्सा :
जब हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम को अल्लाह ने इत्तिला दी कि दरिया के किनारे एक शख़्स है जिसे ऐसा इल्म है कि तुम्हारे पास नहीं है तो तुम उसकी तलाश में जाओ तो हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम निकल पड़े, चलते चलते समंदर के किनारे पहुंचे जहां आपकी मुलाक़ात खिज़्र अलैहिस्सलाम से हुई आपने उनके साथ रहने की इजाज़त मांगी तो उन्होंने इस शर्त के साथ इजाज़त दी कि आप कोई सवाल नहीं करेंगे फिर तीन अजीब वाक़्यात पेश आए .... पहले वाक़िये में खिज़्र अलैहिस्सलाम ने उस कश्ती के तख्ते को तोड़ डाला जिसके मालिकों ने उन्हें किराया लिए बगैर बिठा लिया था , दूसरे वाक़िये में एक बच्चे का क़त्ल कर डाला, तीसरे वाक़िये मेें एक ऐसे गांव में गिरती हुई पोशीदा दीवार की तामीर शुरू करदी जिस गांव वालों ने उन्हें खाना तक खिलाने से इंकार कर दिया...
हज़रत मूसा अलैहि अस्सलाम तीनों मौकों पर चुप नहीं रह सके और उनसे पूछा कि उन्होंने ऐसा क्यों किया??
तीसरे सवाल के बाद खिज्र अलैहिस्सलाम ने कहा कि आप मेरे साथ नहीं चल सकते और तीनों वाक़्यात की हक़ीक़त उन्होंने मूसा अलैहिस्सलाम को बताई , फरमाया कि कशती का तख्ता इसलिए तोड़ा कि आगे ज़ालिम बादशाह के कारिंदे खड़े थे और वो हर नई कशती को जबरदस्ती छीन रहे थे और ऐसा करने ये कशती ज़ालिमों के पास जाने से बच गई,
और उनका ज़रिया ए मआश महफूज़ रहा, बच्चे को इसलिए क़त्ल किया क्योंकि वो बड़ा होके माता-पिता के लिए एक बड़ा फितना बन सकता था, जिसके कारण वह उन्हें कुफ्र की नजाशत में मुब्तिला कर देता,इसलिए अल्लाह ने उसे मारने का और उसकी जगह नेक सालेह औलाद देने का फैसला फरमाया, गिरी हुई दीवार इसलिए बनाई गई थी क्योंकि यह दो अनाथों की थी, उनके पिता अल्लाह के अच्छे बंदे थे, दीवार के नीचे खजाना छिपा हुआ था, अगर दीवार गिर जाती तो लोग खजाना ले जाते और उसे बेच देते, हमने इसे तामीर कर दिया ताकि वो जवान हों तो इस खजाने को निकाल सकें और इसे काम में लगा सकें...
¤ 2. ज़ुल-करनैन का क़िस्सा :
वह जबरदस्त वसाइल (संसाधनों) वाला एक बादशाह थे, उनका गुज़र ऐसी क़ौम से हुआ जो एक अन्य ज़ालिम क़ौम द्वारा उत्पीड़न का शिकार बन गयी थी, जिसे कुरान ने "याजूज" और "माजूज" नाम दिया, ज़ुल-करनैन ने याजूज-माजूज पर एक दीवार खड़ी कर दी है, अब वह कुर्ब ए कयामत में ज़ाहिर होंगे
❷ सूरह मरयम में करीब 11 पैगम्बरों का जिक्र है:
तीन पैगंबरों का तफ्सीली ज़िक्र है:
1. हज़रत याहया अलैहि अस्सलाम का जन्म (अल्लाह ने हज़रत ज़करिया अलैहिस्सलाम और उनकी बीवी को बुढ़ापे में औलाद दी और उसे नुबूवत से सरफराज़ किया)
2. पैगंबर ईसा अलैहिस्सलाम का जन्म (अल्लाह तआला ने पैगंबर ईसा अलैहिस्सलाम को बिना बाप के जन्म दिया और उन्हें तुरंत ही बोलने की ताक़त अता की)
3. हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम का अपने पिता को दावत देना (शिर्क न करें, अल्लाह ने मुझे ज्ञान दिया है, मेरी बातों को मान लें, शैतान की बातों को न मानें, वह अल्लाह का नाफरमान है, उसकी मानेंगे तो अल्लाह का अज़ाब आएगा)
बाकी आठ पैगम्बरों का ज़िक्र या तो बहुत मुख्तसर में या सिर्फ उनके नाम ज़िक्र किया गया है:
4. हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम 5. हज़रत हारून अलैहिस्सलाम 6. हज़रत इस्माइल अलैहिस्सलाम 7. हज़रत इसहाक़ अलैहिस्सलाम 8. हज़रत याकूब अलैहिस्सलाम 9. हज़रत इदरीस अलैहिस्सलाम 10. हज़रत आदम अलैहिस्सलाम 11. हज़रत नूह अलैहिस्सलाम
❸ सूरह ताहा में तीन चीजें हैं:
1. तसल्ली ए रसूल 2. हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम का क़िस्सा 3. हज़रत आदम अलैहिस्सलाम का क़िस्सा
¤ 1. तसल्ली ए रसूल :
रसूलुल्लाह ﷺ दावत और इबादत दोनों में अपनी जान झोंक रखी थी और जब कोई इस दावत पर ध्यान नहीं देता है, तो आप निराश हो जाते हैं, इसलिए अल्लाह करीम ने आपको कई जगहों पर दिलासा दिया है, यह भी समझाया गया कि आप खुद को बहुत परेशानी में न डालें, इस क़ुरआन से हर किसी के दिल को प्रभावित नहीं किया जा सकता है, यह केवल के उसके लिए नसीहत है जिसके दिल में अल्लाह का डर है...
मूसा अलैहिस्सलाम का जो क़िस्सा इस पारे में बयान हुआ है उसको ज़हन नशी करने के लिए कई उन्वान क़ायम किए जा सकते हैं..
जैसे अल्लाह के साथ बात करने का सम्मान, नदी में फेंक दिया जाना, फिरौन द्वारा ताबूत पाया जाना, आपको पूरे सम्मान और सम्मान के साथ गोद लेने के लिए सच्ची माँ को लौटाना, आपसे एक क़ब्ती का क़त्ल हो जाना, लेकिन अल्लाह को आपको क़िसास से बचाना, कई वर्षों तक मदीना में रहना, अल्लाह आपको और आपके भाई हज़रत हारून अलैहिस्सलाम फिरौन के साथ अच्छे अंदाज में बात चीत करने का हुक्म, प्रतियोगिता के लिए जादूगरों का जमावड़ा, हजरत मूसा अलैहिस्सलाम की जीत, जादूगरों का ईमान लाना, पैगंबर मूसा अलैहिस्सलाम के नेतृत्व में मिस्र से इस्राएलियों का रातों रात का पलायन, फिरौन का आगमन सेना का पीछा करना और समंदर में फिरौन और उसकी सेना का डूब जाना और अल्लाह की नेमतों के मुक़ाबला में की इस्राईलियों की नाशुक्री, सामरी का बछड़ा बनना का
और इस्राईलियों की गुमराही, तौरात लेकर हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम की तूर से वापसी , अपने भाई पर गुस्से का इज़हार, हज़रत हारून अलैहिस्सलाम की वज़ाहत वगैरह.........
3. हज़रत आदम अलैहिस्सलाम का क़िस्सा
अल्लाह तआला ने हज़रत आदम अलैहिस्सलाम को पैदा किया और मस्जूद ए मलाइका बनाया, तमाम फ़रिश्तों ने सजदा किया, लेकिन शैतान ने सज्दा करने से मना कर दिया, अल्लाह ने फपमाया ये तुम्हारा और तुम्हारी बीवी का दुश्मन है जन्नत में रहो यहां सब आराम है, तुम न भूखे होते हो, न नंगे, न प्यासे और न धूप से तड़पते हो , बस फलां पेड़ के पास मत जाओ, लेकिन शैतान ने एक फुसफुसाहट पैदा की, हज़रत आदम और हव्वा अलैहिस्सलाम ने उस पेड़ से खा लिया अल्लाह ने उन्हें जन्नत से निकाल दिया, उन्होंने अल्लाह से माफ़ी मांगी , अल्लाह ने उन्हें माफ कर दिया...
Muhammad Yasir
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