पंद्रहवां पारा
■ इसके दो हिस्से हैं:
1. सूरह बनी इस्राईल पूरी
2. अधिकतर सूरह कहफ़
● (1) सूरह बनी इस्राईल में 6 चीज़ें हैं:
1. वाक़्या ए मेअराज 2. बनी इस्राइल की दो बड़ी तबाहियाँ
3. तेरह अहकाम 4. तकरीम ए इंसान 5. रिफ़अत ए क़ुरआन
6. अज़मत ए रहमान
▪ 1. वाक़्या ए मेअराज
हमारे पैगंबरﷺ को रात के वक़्त मस्जिद हराम से मस्जिद अक्सा और फिर वहां से आसमानो पर ले जाया गया जहां से नमाज़ जैसी इबादत मिली
▪2. बनी इज़राइल की दो बड़ी तबाही
बनी इस्राईल को पहले ही बता दिया गया था कि तुम लोग ज़मीन में दो बार फ़साद फैलाओगे, चुनांचे जब उनकी बद बख्तियां हद से बढ़ गईं तो बाबुल का बादशाह बख्त नसर उनपर मुसल्लत किया गया सत्तर साल वो गुलामी में रहे फिर ईरान के बादशाह ने बाबुल पर हमला करके फतेह कर लिया तो उसने यहूदियों पर रहम खाकर उन्हें आजाद कर दोबारा फिलिस्तीन में बसा दिया कुछ मुद्दत खुशहाल ज़िन्दगी गुजारने के बाद फिर नाफरमानी पर उतर आए तो फिर एक और शख्स ने हमला करके यहूदियों का क़त्ल ए आम किया , बनी इस्राईल पर अलग अलग ज़माने में कई दुश्मन मुसल्लत रहे मगरइन दो का ज़िक्र क़ुरआन में है जिनसे इनको सबसे ज़्यादा नुकसान उठाना पड़ा...
▪ 3. तेरह अहकाम: (आयतें: 23 से 39)
अल्लाह के सिवा किसी की इबादत न करो, माँ बाप पर मेहरबानी करो, रिश्तेदारों पर रहम करो, ग़रीबों और राहगीरों को उनका हक़ दो, अपना माल बर्बाद मत करो, कंजूस मत बनो, हद से आगे मत बढ़ो, अपने बच्चों को गरीबी के डर से क़त्ल न करो हर, किसी जानदार को नाहक़ क़त्ल मत करो, किसी अनाथ की संपत्ति का दुरुपयोग मत करो, वादा करो और इसे पूरा करो, नाप तौल पूरा करो, जिसके बारे में तहक़ीक़ न हो उसके पीछे मत पड़ो, ज़मीन पर अकड़ कर मत, अल्लाह का शरीक न ठहराओ
▪ 4. तकरीम ए इंसान
इंसान को अशरफुल मख़लूक बनाया गया
5. रिफ़अत ए क़ुरआन
क़ुरआन की अज़मत के साथ साथ क़ुरआन थोड़ा थोड़ा नाज़िल होने की हिकमत बयान हुई ताकि लोगों के लिए समझने में आसानी हो और हालात और वाक़्यात के हिसाब से आयतों को उतारा गया...
6. अज़मत ए रहमान
अल्लाह के अच्छे अच्छे नामों में से चाहे जिस नाम से पुकारो , न उसकी कोई औलाद न कोई शरीक , न ही उसे किसी मआविन की ज़रूरत
● (2) सूरह कहफ़ के शुरुआती हिस्से में दो बातें हैं:
1. दो क़िस्से
2. दो मिसालें
▪ 1. दो क़िस्से : असहाब ए कहफ़ का क़िस्सा
ये कुछ साहिब ए ईमान नौजवान थे जिन्हें दकियानस नाम के एक राजा द्वारा बुतपरस्ती करने के लिए मजबूर किया गया था, और उसकी बात न मानने वाले को मार डालता था, एक तरफ नौजवानों को माल ओ दौलत ऊंचे ओहदे वगैरह का लालच दिया गया दूसरी तरफ क़ुबूल न करने पर जान से मारने की धमकी दी गई , उन नोजवानों ने ईमान की हिफ़ाज़त के लिए वहां से निकल गए और चलते चलते दूर एक गार में पहुंच गए रास्ते में एक कुत्ता भी उनके साथ हो लिया उन्होंने इसी गुफा में रहने का इरादा किया, और जब वो गार में दाखिल हुए तो अल्लाह ने उन्हें गहरी नींद सुला दिया वहां वो तीन सौ साल तक सोते रहे और जब बेदार हुए तो भूख लगी उनमें से एक खाना लेने बाहर गया तो सब बदल चुका था अहल-ए-शिर्क की हुकूमत खत्म हो गई थी और अबू मुवह्हिद लोग सत्ता में थे, ईमान की खातिर घर बार छोड़ने वाले ये नौजवान उनकी नजरों में क़ौमी हीरो की हैसियत अख्तियार कर गए...
¤ हजरत मूसा और खिज्र अलैहिस्सलाम का क़िस्सा : इसका जिक्र अगले पारे की शुरुआत में किया जाएगा।
▪ 2. दो मिसालें:
पहली मिसाल : दो लोग थे, एक के पास बगीचा था और दूसरा एक गरीब आदमी था, बगीचे वाला अकड़ता था तो गरीब ने कहा अकड़ नहीं "माशाअल्लाह, ला क़ुव्वता इल्ला बिल्लाह" कहा करो मगर वो न माना, अल्लाह का अज़ाब आया और उसका सारा बाग जल गया...
¤ दूसरी मिसाल : दुनियवी ज़िन्दगी की मिसाल ऐसी है जैसे जब आसमान से पानी बरसता है तो धरती हरी हो जाती है, फिर सूख कर चूरा चूरा हो जाती है
Muhammad Yasir
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