Wednesday, 8 June 2016

मैं शरीअत चाहता हूँ.....

क्योंकि शरीअत के तहत ऐसा मुआशरा वज़ूद पाता है जहां
नेकी करना आसान और
बुराई करना मुश्किल होता है।

मैं शरीअत चाहता हूँ
क्योंकि मुझे सरमायादाराना निज़ाम से नफरत है
जो एक तरफ भूख और बीमारी के उजाले का ढोल बजाता और
इंसानियत, इंसानियत का राग अलापता है
और दूसरी तरफ
करोडो इंसानो को
क़त्ल करते ज़रा नहीं हिचकता  

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