सलफ़ी तहरीक
वो मुसलमान जो फ़िक़ह में अइम्मा अरबा की तक़लीद नहीं करते।
बल्कि सिर्फ अल्लाह के पैगम्बर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की तालीमात को ही काफी समझते है और क़ुरआन व सुन्नत की रौशनी में ही मसाइल का हल अखज करते है इन्हे पूरी दुनिया ख़ुसूसन दुनियाए अरब में सलफ़ी कहा जाता है।
बर्रे सगीर (हिन्द व पाक व बांग्लादेश) में सलफ़ी विचारधारा से सम्बन्ध रखने वालो को 'अहले हदीस' के नाम से पुकारा जाता है। सलफ़ी जमाअत का कहना है कि वो कोई फ़िर्क़ा नहीं बल्कि हकीकी इस्लाम पर अमलपेरा है।
वो मुसलमान जो फ़िक़ह में अइम्मा अरबा की तक़लीद नहीं करते।
बल्कि सिर्फ अल्लाह के पैगम्बर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की तालीमात को ही काफी समझते है और क़ुरआन व सुन्नत की रौशनी में ही मसाइल का हल अखज करते है इन्हे पूरी दुनिया ख़ुसूसन दुनियाए अरब में सलफ़ी कहा जाता है।
बर्रे सगीर (हिन्द व पाक व बांग्लादेश) में सलफ़ी विचारधारा से सम्बन्ध रखने वालो को 'अहले हदीस' के नाम से पुकारा जाता है। सलफ़ी जमाअत का कहना है कि वो कोई फ़िर्क़ा नहीं बल्कि हकीकी इस्लाम पर अमलपेरा है।
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