Friday, 25 March 2016

इस सादगी पर कौन न मर जाये ऐ खुदा !
लड़ते है और हाथ में तलवार भी नहीं। 

राह पर तुमको तो ले आये है हम बातो में 
और खुल जाओगे दो चार मुलाकातों में 

मुझ में एक ऐब बड़ा है कि वफादार हूँ मैं 
उनमे दो वस्फ है बद खू भी खुद काम भी है। 

{गांधीजी का अनमोल कथन} 

इस्लाम छोटा नहीं है, हिन्दुओ को भक्ति के साथ 
उसका अध्ययन करना चाहिए।  फिर वे उसके साथ मुहब्बत करेंगे। 
जिस तरह मैं करता हूँ। 
(अनुवाद- यंग इंडिया प्रताप, 4 जून 1924 ईस्वी)

{क़यामत की अलामत} 

हज़रत अबु हुरैरह र. अ. से रिवायत है कि 
प्यारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया :
मेरी उम्मत के आखिर में कुछ लोग होंगे जो ऐसी बाते बयान करेंगे 
जो न तुमने सुनी होगी, न ही तुम्हारे बाप व दादा ने। 
तो ख़बरदार ! उनसे दूर रहना।"

(सहीह मुस्लिम अल मुक़द्दमा, बाबुन्नहि आनीररिवायह अनस्ससहाबह 1/78)  

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