हक़ बात - सबके साथ
"और उससे ज्यादा कौन जालिम हो सकता है, जो अल्लाह की मस्जिदो में
(लोगो को) अल्लाह की इबादत से रोके तथा उसे नष्ट करने का प्रयत्न करे। "
(सूरह 2 अल बकरा, आयात
"और उससे ज्यादा कौन जालिम हो सकता है, जो अल्लाह की मस्जिदो में
(लोगो को) अल्लाह की इबादत से रोके तथा उसे नष्ट करने का प्रयत्न करे। "
(सूरह 2 अल बकरा, आयात
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