Sunday, 28 February 2016

#हक़_बात_सबके_साथ

अमीरुल मोमिनीन सैय्यदना उमर फारूक रजि. की चंद नसीहतें

1 जिससे तुम्हे नफरत है उससे मोहतात भी रहो।
2 जो खुद को जन्नती कहे, वह जहन्नुमी है।
3 तौबा की तकलीफ से गुनाह छोड़ना आसान है।
4 बुजुर्ग बनने के लिए इल्म हासिल करो।
5 जो आदमी खुद को आलिम कहे वह ज़ाहिल है।
6 सलामती गुमनामी में है।
7 सबसे बुरी आवाज़े दो है - नौहा व राग
8 बुरा चाहने वाले की दोस्ती से परहेज़ करना जरुरी है।
9 बुढ़ापे से पहले जवानी और मौत से पहले बुढ़ापे को गनीमत समझो।
10 जो ऐब से आगाह करे वह दोस्त है और जो ऐब पर तारीफ करे वह ऐसा है
जैसे दूसरे को ज़िबह कर रहा हो।  

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