Saturday, 20 December 2014

मुहब्बत ये नहीं की किसी के लिए अपनी जान क़ुर्बान करने की ख्वाहिश की जाये ,
जान तो बस अल्लाह की अमानत है।
मुहब्बत तो किसी की रज़ा और ख़ुशी के लिए अपनी रजा और ख़ुशी क़ुर्बान करने का  नाम है।

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