Saturday, 6 December 2014

दिल और जुबां सबसे बदतरीन और सबसे बेहतरीन

हज़रत लुक़्मान तो बढ़ई के गुलाम थे। उससे एक दिन उनके मालिक ने कहा की बकरी ज़िबह करो और उसके बेहतरीन और अच्छे से गोश्त के टुकड़े लाओ।
वह दिल और जुबां ले गए।
कुछ दिनों के बाद उनके आका ने फिर हुक्म दिया और कहा की आज उसके गोश्त में जो बदतरीन और खबीस टुकड़े है वह ल दो।
आप आज भी यही दो चीज़े ले गए।
मालिक ने पूंछा इसकी वजह क्या है की बेहतरीन टुकड़े तुझसे मांगे गए तो तू यही दो लाया और बदतरीन टुकड़े मांगे तो भी तूने यही दो टुकड़े ला  दिए।  यह क्या बात है ?
आपने फ़रमाया : जब ये अच्छे है तो इनसे बेहत्तर  जिस्म का कोई हिस्सा नहीं और जब ये बुरे बन जाये तो फिर सबसे बदतर भी यही दो है।
(हवाला - तफ़्सीर इब्ने कसीर  पारा  21 पृष्ठ 43 सूरह - लुक़मान रूकू 2  की तफ़्सीर )





No comments: