Saturday, 20 December 2014

इस्लाम कुछ शलोको का नाम नहीं की उन्हें जुबां से रट लेना ही काफी हो और न किसी खास सरज़मीं के अंदर जिस पर इस्लाम का बोर्ड लगा हो या जो इस्लामी नाम से पुकारा जाता हो।
यह रिश्ता मुसलमानों की एक नई बिरादरी को जन्म देता है इस बिरादरी में अरब भी शामिल है और गैर अरब भी , रूम के शोएब भी इसके रुक्न है और हब्शा के बिलाल और ईरान के सलमान भी।
 पैदा हो जाने से किसी आदमी को खुद -ब -खुद इस्लाम का सर्टिफिकेट मिल जाता हो और न यह मुसलमान वालिदैन के घर में पैदा होने से विरासत में मिल जाता है।
इस्लाम नाम है ईमान का और ईमान कहते है एक अल्लाह और मुहम्मदुर रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के फरमान के मानने को और सहाबा किराम और अल्लाह की मुक़द्दस किताब क़ुरान -ए-करीम पर ईमान लाने को।
इस्लाम रस्मो से नहीं चलता ,अल्लाह क फरमान से चलता है।

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