हज़रत अबु सईद खुदरी र. अ. रिवायत है की रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने कहा, "ज़न्नत और जहन्नुम में वाद-विवाद हुआ। दोज़ख ने कहा : मेरे भीतर दमनकारी अहंकारी लोग होंगे। और ज़न्नत ने कहा :मेरे भीतर निर्बल और मोहताज़ लोग होंगे। तो अल्लाह ने उनके बीच यह फैसला किया की ऐ ज़न्नत,तू मेरी दयालुता है। तेरे द्वारा मैं जिस पर चाहता हु दया करता हु और ऐ दोज़ख ,तू मेरी यातना है। तेरे द्वारा मैं जिसे चाहता हु यातना देता हु और तुम दोनों को भर देना मेरे जिम्मे है। " (मुस्लिम)
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