Wednesday, 24 December 2014

खुद का सुधार -दूसरों का सुधार

खुद का सुधार (self reform )-
"तुम वह बात क्यों कहते हो जो करते नहीं ? अल्लाह के यहां यह अत्यन्त अप्रिय बात है की तुम वह बात कहो , जो करो नहीं। " (क़ुरआन - 61:२-3 )
"क्या तुम लोगों को तो नेकी और एहसान का उपदेश देते हो और अपने आपको भूल जाते हो। " (क़ुरआन 2 : 44 )

दूसरों का सुधार (other reform )-
"तुम अपने रब की और बुलाये जाओ।  निसंदेह तुम सीधे मार्ग पर हो। " (क़ुरआन 16 25 )
" अपने रब के मार्ग की और तत्वदर्शिता और सदुपदेश के साथ बुलाओ और उनसे ऐसे ढंग से वाद-विवाद करो जो उत्तम हो। " (क़ुरआन ,16 :25 )

"और तुम्हे एक ऐसे समुदाय का रूप धारण कर लेना चाहिए जो नेकी की और बुलाये और भलाई का आदेश दे और बुराई से रोके।  यही सफलता प्राप्त करने वाले लोग है। " (क़ुरआन 3 :104 )

नसीहत का फायदा -
"और याद दिलाते रहो , क्योंकि याद दिलाना ईमानवालो को लाभ पहुंचाता है। " (क़ुरआन 51 :55 )
"तुम नसीहत करो , यदि नसीहत लाभप्रद हो। नसीहत हासिल कर लेगा जिसको डर होगा। " (क़ुरआन 87 :9-10 )

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