जो बहुत पाक - साफ नज़र आते है !
दाम जाए जो भरपूर तो बिक जाते है !!
सब असीरों को गुनहगार न समझो यारों !
कैदखाने में थो युसूफ भी पहुँच जाते है !!
जज़्बए शौक को वोह काम नहीं होने देते !
नज़र आते है कभी , और कभी छुप जाते है !!
तुम से हम हाथ मिलाये थो मिलाये कैसे !
चोट पहुंची है जो तुमसे उसे सहलाते है !!
जानलेवा है बहुत मरहला हक़गोई का !
इस गुज़रगाह में आवाज़ पे तीर आते है !!
बहस के मूड में होते है अगर दानिशवर !
सुलझे - सुलझाये मसाइल को भी उलझा देते है !!
ज़ुल्म की अपने तलाफ़ी वो नहीं करते हफ़ीज़ !
सिर्फ हमदर्दी का इज़हार किये जाते है !!
दाम जाए जो भरपूर तो बिक जाते है !!
सब असीरों को गुनहगार न समझो यारों !
कैदखाने में थो युसूफ भी पहुँच जाते है !!
जज़्बए शौक को वोह काम नहीं होने देते !
नज़र आते है कभी , और कभी छुप जाते है !!
तुम से हम हाथ मिलाये थो मिलाये कैसे !
चोट पहुंची है जो तुमसे उसे सहलाते है !!
जानलेवा है बहुत मरहला हक़गोई का !
इस गुज़रगाह में आवाज़ पे तीर आते है !!
बहस के मूड में होते है अगर दानिशवर !
सुलझे - सुलझाये मसाइल को भी उलझा देते है !!
ज़ुल्म की अपने तलाफ़ी वो नहीं करते हफ़ीज़ !
सिर्फ हमदर्दी का इज़हार किये जाते है !!
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