Thursday, 11 September 2014

नज़्म

हर किसी के नक़्शे क़दम पर मुझे चलना अच्छा नहीं लगता !
जाते है जिधर सब लोग उधर जाना मुझे अच्छा नहीं लगता !
मेरी आदत है यारो मझदार से टकराने की,
धारे के सहारे तैरना मुझे अच्छा नहीं लगता !
होते हुए किताब -ओ -सुन्नत की रोशन हिदायात ,
करूँ मैं इमामों की इत्तिबा मुझे अच्छा नहीं लगता !
इस दौरे तरक्की में उरयनियत भी एक फैशन है लेकिन।,
बेपर्दा निकले घर से दुख्तरे -इस्लाम यह मुझे अच्छा नही लगता !
मैं आज़ाद पंछी हूँ अपने बागे बहार का ,
बंदिशों की ज़िन्दगी जीना मुझे अच्छा नहीं लगता !
 

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