इंसान मौत से बचने की कोशिश करता है।
जहन्नुम से नहीं। हालांकि , कोशिश करने से वो जहन्नुम से बच सकता है।, मौत से नहीं।
क़ायनात में कोई किसी का इतनी शिद्दत से इंतज़ार नहीं करता , जितना अल्लाह ताला अपने बन्दों की तौबा का करता है।
बुलंदी व वक़ार के 6 सुनहरे उसूल -
1 इबादत के वक़्त अपने दिल को काबू में रखो।
2 जब दस्तरख्वान पर बैठो तो अपने पेट को काबू रखो।
3 किसी के घर जाओ तो अपनी आँखों को काबू में रखो।
4 किसी महफ़िल ,इ बैठो तो अपनी ज़ुबान को काबू में रखो।
5 अल्लाह और मौत को हमेशा याद रखो।
6 अपनी नेकियों और दूसरे की बुराइयों को भुला दो।
जहन्नुम से नहीं। हालांकि , कोशिश करने से वो जहन्नुम से बच सकता है।, मौत से नहीं।
क़ायनात में कोई किसी का इतनी शिद्दत से इंतज़ार नहीं करता , जितना अल्लाह ताला अपने बन्दों की तौबा का करता है।
बुलंदी व वक़ार के 6 सुनहरे उसूल -
1 इबादत के वक़्त अपने दिल को काबू में रखो।
2 जब दस्तरख्वान पर बैठो तो अपने पेट को काबू रखो।
3 किसी के घर जाओ तो अपनी आँखों को काबू में रखो।
4 किसी महफ़िल ,इ बैठो तो अपनी ज़ुबान को काबू में रखो।
5 अल्लाह और मौत को हमेशा याद रखो।
6 अपनी नेकियों और दूसरे की बुराइयों को भुला दो।
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