"पक्की क़ब्र बनाना हराम है हराम है। ....... "
भारत हज़ारो दरगाह है और उर्स के अवसर पर लाखो लोग दरगाह के दर्शन करते है , मगर इस्लाम इसकी तालीम। यह लोगों की शरददा और इस परंपरा है , मगर शरददा और परंपरा से धर्म नहीं बदलता , जो गलत है वह गलत रहेगा।
हज़रत मुहम्मद स. अ. व. पक्का मज़ार या क़ब्र बनाने से मन किया है। और इससे भी मन किया है की क़ब्र पर कोई स्मारक या ईमारत बनायीं जाये। (मुस्लिम, मारीफुल हदीस , वॉल्यूम 3 पेज 486 )
खुद हज़रत मुहम्मद स. अ. व. की क़ब्र शरीफ बी कच्ची है। यानि ईंट पत्थर से नहीं बनी है और न मज़ार पर कोई शानदार ईमारत या गुम्बद है। हज़रत मुहम्मद स. अ. व. की क़ब्र शरीफ बगैर खिड़की - दरवाज़े की चहारदीवारी है। सीधी छत गिर जाया थी इसलिए उन पत्थरों की दिवार पर गोल छत है। एकदम सादी ईमारत है जो पत्थरों से बनी है। यह पूरी ईमारत मस्जिद के अंदर है और मस्जिद की वह जगह जो क़ब्र शरीफ की ईमारत के ऊपर है , उस पर गुम्बद है। और क़ब्र शरीफ के चारों तरफ बगैर खिड़की - दरवाज़े की ईमारत इसलिए बनानी पड़ी क्योंकि यहूदियों ने कई बार क़ब्र मुबारक को नुकसान पहुँचाने की साज़िशें रची थी।
इसलिए बस इस एक ईमारत और गुम्बद के अलावा जो तुर्कियों ने अपने राज़ में बनवाया था , सऊदी अरब में आपको और कोई पक्का मज़ार और उस पर शानदार ईमारत या गुम्बद वगेरह नज़र नहीं आएगा।
जो इस्लाम में नहीं है वह अगर हिंदुस्तान में लाखों मुसलमान करने लग जाये थो वह सही नहीं हो जायेगा , बल्कि गलत , गलत ही रहेगा।
भारत हज़ारो दरगाह है और उर्स के अवसर पर लाखो लोग दरगाह के दर्शन करते है , मगर इस्लाम इसकी तालीम। यह लोगों की शरददा और इस परंपरा है , मगर शरददा और परंपरा से धर्म नहीं बदलता , जो गलत है वह गलत रहेगा।
हज़रत मुहम्मद स. अ. व. पक्का मज़ार या क़ब्र बनाने से मन किया है। और इससे भी मन किया है की क़ब्र पर कोई स्मारक या ईमारत बनायीं जाये। (मुस्लिम, मारीफुल हदीस , वॉल्यूम 3 पेज 486 )
खुद हज़रत मुहम्मद स. अ. व. की क़ब्र शरीफ बी कच्ची है। यानि ईंट पत्थर से नहीं बनी है और न मज़ार पर कोई शानदार ईमारत या गुम्बद है। हज़रत मुहम्मद स. अ. व. की क़ब्र शरीफ बगैर खिड़की - दरवाज़े की चहारदीवारी है। सीधी छत गिर जाया थी इसलिए उन पत्थरों की दिवार पर गोल छत है। एकदम सादी ईमारत है जो पत्थरों से बनी है। यह पूरी ईमारत मस्जिद के अंदर है और मस्जिद की वह जगह जो क़ब्र शरीफ की ईमारत के ऊपर है , उस पर गुम्बद है। और क़ब्र शरीफ के चारों तरफ बगैर खिड़की - दरवाज़े की ईमारत इसलिए बनानी पड़ी क्योंकि यहूदियों ने कई बार क़ब्र मुबारक को नुकसान पहुँचाने की साज़िशें रची थी।
इसलिए बस इस एक ईमारत और गुम्बद के अलावा जो तुर्कियों ने अपने राज़ में बनवाया था , सऊदी अरब में आपको और कोई पक्का मज़ार और उस पर शानदार ईमारत या गुम्बद वगेरह नज़र नहीं आएगा।
जो इस्लाम में नहीं है वह अगर हिंदुस्तान में लाखों मुसलमान करने लग जाये थो वह सही नहीं हो जायेगा , बल्कि गलत , गलत ही रहेगा।
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