Wednesday, 5 April 2023

 अठारहवां पारा


 इस पारे के तीन हिस्से हैं:

 1  सूरह मोमिनून पूरी

 2.  सूरह नूर पूरी

 3.  सूरह फुरक़ान शुरू का हिस्सा


1.  सूरह मोमिनून में सात चीज़ें हैं:

 1.  इस्तेहक़ाक़ ए जन्नत (स्वर्ग के लिए पात्रता) की सात सिफ़त

 2. तखलीक़ ए इंसान (मानव निर्माण) के नौ चरण

 3.  तौहीद 4. अम्बिया के क़िस्से 5. नेक लोगों के चार गुण

 6.  न मानने वालों के इनकार का असली कारण

 7.  फैसले का दिन


1. इस्तेहक़ाक़ ए जन्नत (स्वर्ग के लिए पात्रता) की सात सिफ़त : (1) ईमान, (2) नमाज़ में खुश (विनम्रता) , (3) लगु से बचना (4) ज़कात, (5) पाकदामनी (6) ईमानदारी, (7) नमाज़ की हिफाज़त


 2.  मानव निर्माण के नौ चरण: पिछले पारे में सात बयान हुआ : 8. मौत 9. फिर से ज़िन्दा किया जाना


 3.  तौहीद:

 सूरह की शुरुआत में तौही के लिए तीन दलाइल  दिए गए हैं: (1) आसमानों की तखलीक़ (2) बारिश और अनाज, (3) चौपाए और उनका मुनाफा।


4.  अम्बिया के क़िस्से :

 (1) हजरत नूह अलैहिस्सलाम और उनकी नाव का ज़िक्र।

 (2) हजरत मूसा और हारून अलैहिस्सलाम का ज़िक्र।

 (3) हजरत ईसा अलैहिस्सलाम और उनकी मां हजरत मरियम का ज़िक्र।


 5.  अच्छे लोगों के चार गुण:

 (1) वे अल्लाह से डरते हैं, (2) वे अल्लाह पर ईमान रखते हैं, (3) वे शिर्क और रिया नहीं करते, (4) नेकियों के बावस्फ  उनके दिलों में डर होता है कि उन्हें अल्लाह के पास जाना है।


 6. न मानने वालों के इंकार की असली वज़ह :

 उनके इंकार और झुठलाने की वजह ये नहीं कि आप ﷺ कोई ऐसी बात लेकर आए जो पहले अम्बिया नहीं लेकर आए बल्कि असली कारण यह है कि आप जो हक़ बात लेकर आए हैं वह उनकी ख्वाहिशात के खिलाफ़ है इसलिए वे उसे नकारने के लिए तरह-तरह के बहाने बनाते रहते हैं।


 7.  फैसले का दिन:

 क़ियामत के दिन जिसके आमाल का तराज़ू वज़नी हो जाएगा वह सफल होगा और जिसका आमाल हल्का होगा वह असफल होगा।


(2) सूरह नूर में दो बातें हैं:

 1.  सोलह अहकाम और आदाब

 2.  अहले हक़ व बातिल की तीन मिसालें


 1. सोलह अहकाम और आदाब

 1. ज़ानी और ज़ानिया की सज़ा सौ कोड़े हैं, (अविवाहितों के लिए है)

 2. मुसलमानों के लिए निकाह के लिए किसी बदकार पुरुष या महिला को चुनना हराम है।

 3. जो कोई भी बिना गवाहों के एक समझदार, बालिग, पाकदामन पुरुष या महिला पर ज़िना का आरोप लगाता है, उसकी सजा अस्सी कोड़े हैं

 4. मियां बीवी के लिए बजाए गवाहों के लआन का हुक्म है

 5. जब कुछ पाखंडियों ने सैय्यदा आयशा रज़ियल्लाहु अन्हा पर बोहतान लगाया, जो कि एक बोहतान था , जो मुसलमानों की रूहानी माँ पर लगाया गया था अल्लाह तआला ने दस आयतों में इस घटना का ज़िक्र किया है, इन आयतों में मुनाफिकीन की मजम्मत की गई है और मुसलमानों को चेतावनी दी गई है कि भविष्य में इस तरह की बोहतान तराशी का हिस्सा न बनें और हरमे नबूवत की इफ्फत व असमत का ऐलान हुआ 

 6. किसी के घर में बिना अनुमति के प्रवेश न करें, अनुमति से पहले सलाम भी करना चाहिए।

 7. आंखों और शर्म गाह की हिफाज़त करें।

 8. निकाह की She's

 9. जो गुलाम या बांदी रूपये पैसा देकर आज़ाद होना चाहें उनसे मुहायदा कर लें

 10. बांदियों का उज़रत के बदले ज़िना पर मजबूर न करें

 11. छोटे बच्चों और घर में रहने वाले गुलामों और नौकरों को फज्र की नमाज़ से पहले, दोपहर के क़ैलूला के समय और ईशा की नमाज़ के बाद तुम्हारे  खलवत वाले कमरे में दाखिल हों तो उन्हें इजाज़त लेकर प्रवेश करना चाहिए, क्योंकि ये तीनों समय, उमूमी लिबास उतारकर  सोने के कपड़े पहनना आम बात है।

 12. जब बच्चे बालिह हो जाते हैं, तो उन्हें अन्य बालिगों की तरह, अनुमति लेकर या किसी भी तरह से अपने आगमन की इत्तेला दें

 13. उन स्त्रियों पर कोई आपत्ति की बात नहीं जो बहुत बूढ़ी हो गई हों और जिनकी आयु विवाह योग्य न हो गई हो यदि वे पर्दा हटा दें।

 14. घर में दाखिल हौं तो परिवार को सलाम करें।

 15. बिना अनुमति के इज्तेमाई महफिल से न उठें।

 16. अल्लाह के रसूल को इस तरह न पुकारो जैसे एक दूसरे को पुकारते हैं।


 2. अहले हक़ और बातिल की तीन मिसालें :


पहली मिसाल में मोमिन के दिल को नूर के उस चिराग के साथ तशबीह दी गई जो साफ सफ्फाफ शीशे से बनी हुई क़ंदील (दीपक) में होता है और जो एक आला में रखा जाता है ताकि इसकी रोशनी एक निश्चित आयाम में बनी रहे। इसमें तेल एक विशेष जैतून के पेड़ से प्राप्त किया जाता है, इस तेल में ऐसी चमक होती है कि यह बिना आग दिखाए चमकने लगता है , मोमिन के दिल का भी यही हाल है वह ज्ञान प्राप्त करने से पहले ही हिदायत पर अमल पैरा होता है, फिर जब ज्ञान आता है तो नूर अला नूर की सूरत हो जाती है


 एक और मिसाल उनके आमाल झूठ हैं, जिन्हें वो अच्छा समझते हैं उनकी मिसाल शराब की सी है जैसे प्यासा आदमी दूर से शराब को पानी समझ बैठता है और पास आता है तो पानी नदारद ऐसे ही काफिर का मामला है जब वह मरने के बाद अल्लाह के सामने पेश होगा, तो कुछ भी नहीं होगा, उसके आमाल गायब और गुबार बन के उड़ चुके होंगे


 तीसरी मिसाल में उनके अक़ाइद की तुलना समुद्र के गहरे अँधेरे से की गई है, जहाँ इंसान को अपना हाथ भी दिखाई नहीं देता, यही हाल काफिर का है जो कुफ्रऔर ज़लालत के अँधेरे में भटकता रहता है


 (3) सूरह फुरकान के शुरुआती हिस्से में चार चीजें हैं:

 (1) तौहीद

 (2) कुरान की प्रामाणिकता

 (3) रिसालत

 (4) क़यामत


 (1) तौहीद:

 अल्लाह ही है जो आसमानों और ज़मीन का बादशाह है, उसका न कोई बेटा है और न कोई साझीदार, उसी ने हर चीज़ को बनाया और उसे नपा तुला अंदाज दिया है।


 (2) कुरान की हक़्क़ानियत (प्रामाणिकता) :

 कुरआन के बारे में काफिरों की दो तरह की गलत बयानी का ज़िक्र किया गया है:

 1.  यह मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की इफ्तेरा है और उनकी अपनी रचना है जिसमें कुछ अन्य लोगों ने योगदान दिया है।

 2.  ये पिछली क़ौमों के क़िस्से और कहानियाँ हैं जो उसने लिखवा ली हैं।


 (3) रिसालत:

 काफिरों ने सोचा कि रसूल इंसान नहीं फरिश्ता होता है और इंसानों में से किसी एक को भी नबुव्वत और नबुव्वत मिल भी जाए तो दुनियावी नज़र से अमीरों को दिया जाता है, ग़रीबों और यतीमों को नहीं दिया जा सकता  अल्लाह तआला ने उनके इस झूठे ख़याल का साफ़ दलीलों से खण्डन किया है।


 (4) क़यामत :

 क़ियामत के दिन अल्लाह काफ़िरों के झूठे माबूदों से पूछेगा: क्या तुमने मेरे इन बन्दों को गुमराह किया या ये ख़ुद ही गुमराह हो गए?  तो वे अपने बन्दों को झुठलायेंगे और अपनी लापरवाही कबूल करेंगे, फिर उन काफ़िरों को भारी सज़ा मिलेगी।

No comments: