Saturday, 19 March 2016

मुशरिक को तौहीद का ज़िक्र बड़ा नागवार महसूस होता है।

''और जब अल्लाह तआला का ज़िक्र किया जाता है तो आख़िरत पर ईमान ना रखने वालो के दिल
कुढ़ने लगते है और जब उसके सिवा दुसरो का ज़िक्र होता है तो यकायक ख़ुशी से खिल उठते है।"

(सूरह जुमर सूरह न. 39 आयात न. 45) 

No comments: