मुशरिक को तौहीद का ज़िक्र बड़ा नागवार महसूस होता है।
''और जब अल्लाह तआला का ज़िक्र किया जाता है तो आख़िरत पर ईमान ना रखने वालो के दिल
कुढ़ने लगते है और जब उसके सिवा दुसरो का ज़िक्र होता है तो यकायक ख़ुशी से खिल उठते है।"
(सूरह जुमर सूरह न. 39 आयात न. 45)
''और जब अल्लाह तआला का ज़िक्र किया जाता है तो आख़िरत पर ईमान ना रखने वालो के दिल
कुढ़ने लगते है और जब उसके सिवा दुसरो का ज़िक्र होता है तो यकायक ख़ुशी से खिल उठते है।"
(सूरह जुमर सूरह न. 39 आयात न. 45)
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