Monday, 28 March 2016

वे तमाम मोमिनीन जो ईमान और तक़वा वाले है अल्लाह के वली (दोस्त) है और अल्लाह उनका वली है।
अल्लाह ने चमत्कार या करामत को विलायत की पनाह या शर्त बिलकुल नहीं बताया।
अत: मुसलमानो के लिए जायज़ नहीं है कि वे कुछ लोगो को औलियाल्लाह कहे और कुछ को ऐसा न कहे।
इस्लाम की इस स्पष्ट शिक्षा के बावजूद सूफिया के वहा औलिया का एक मुस्तकिल दर्जा बन्दी बना दी गई है और जाहिल अवाम आँखे बंद करके उस पर यकीन करते है।
सूफीवाद की इस तरतीब के मुताबिक अबयार की संख्या 300 है, अब्दाल की संख्या 40 है , 7 अबरार है  4 अवतार है और 3 नुकबा है। क़ुतुब जो अपने समय का सबसे बड़ा संत समझा जाता है इस सूचि में गौस का नाम सबसे ऊपर होता है।
सबसे बड़ा वली जिसके बारे में कुछ हलकों में यह अक़ीदा पाया जाता है कि वह बन्दे के कुछ गुनाह अपने ऊपर ले लेता है।  सूफी अक़ीदे के मुताबिक तीन बड़े औलिया अद्रश्य रूप से मक्का मुअज़्ज़मा में नमाज़ों के समयो में मौजूद होते है।
जब गौस मरता है तो क़ुतुब उसकी जगह ले लेता है फिर दर्जा बदर्जा तरक्की होती है।
यह अक़ायद है सूफियो के और यह शरीअत से किनारा करके अपना नया मनहज तरीकत को इख़्तियार करते है। 

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