Thursday, 3 March 2016

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हम मुसलमान है
सुन्नी है
हमें क़ुरआन की एक आयत याद नहीं
हमें पहले कलमे का तर्जुमा (अनुवाद) याद नहीं
हम पैदाइशी मुस्लिम है और हमें इस पर फख्र है
हमें इससे ज्यादा कुछ सिखने की जरुरत नहीं
क्यूंकि हम सुन्नी मुसलमान है
हाँ
मुहर्रम के महीने में बिदते करने पर ही हम सुन्नी मुसलमान है
रबीउल अव्वल में प्यारे नबी का जन्मदिन मनाने पर ही हम सुन्नी मुसलमान है
और हाँ शबे बारात पर रात  में इबादत की जगह हलवा ,खीर मिठाइयां खाने की वजह से ही हम सुन्नी मुसलमान है।
पर अफ़सोस !
हम नमाज़ सिखने पढ़ने के वक़्त सुन्नी तो क्या मुसलमान भी नहीं रह जाते !
पर अफ़सोस ! की हम क़ुरआन को गिलाफ में लपेटकर उसको रुस्वा करने में कोई कसर नहीं छोड़ते।
उसे चूमने-चाटने की बरकत से ही फुर्सत नहीं मिलता की उसे खोलकर पढ़ ले।
अफ़सोस ! की हम रोज़ो में रोज़ा नहीं रख पाते और छिपे-छिपे और अब तो बेशर्मी से खाते-पीते है।
अफ़सोस! हम सुन्नी मुसलमान है और बस यही हमें बताया गया है की हम सुनकर सुन्नी मुसलमान हुए है हमें क़ुरआन व हदीस को खोलकर देखने की जरुरत नहीं वरना हम वहाबी हो जाये , काफिर , नज्दी,देवबंदी हो जाये।
अस्तग्फिरुल्लाह   

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