Monday, 29 February 2016

मदीना में मरने की महत्ता
"जो मदीना में मर सकता है, मरने  का यत्न करे
क्योंकि मैं उसकी शफ़ाअत करूँगा।"
(तिरमिज़ी 3917 अहमद 2:74)


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