जब क़ुरआन एक
काबा शरीफ एक
अल्लाह एक
और हमारे आखिरी नबी एक
तो उम्मत का भी एक होना जरुरी है और इसके लिए मजहब या मसलक भी एक होना जरुरी है
और वो मसलक मुहम्मदी होना चाहिए और इसके लिए हमें
अहलुर्राय की जगह अस्हाबुल हदीस (अहले हदीस) बनना पड़ेगा और इसके लिए हमें क़ुरआन और हदीस का अध्ययन करना जरुरी है और हदीस खुद कहती है कि
"हर मुस्लिम पर इल्म सीखना फ़र्ज़ है। "
अब आप ही डिसाइड करे की हमें क्या करना चाहिए ?
काबा शरीफ एक
अल्लाह एक
और हमारे आखिरी नबी एक
तो उम्मत का भी एक होना जरुरी है और इसके लिए मजहब या मसलक भी एक होना जरुरी है
और वो मसलक मुहम्मदी होना चाहिए और इसके लिए हमें
अहलुर्राय की जगह अस्हाबुल हदीस (अहले हदीस) बनना पड़ेगा और इसके लिए हमें क़ुरआन और हदीस का अध्ययन करना जरुरी है और हदीस खुद कहती है कि
"हर मुस्लिम पर इल्म सीखना फ़र्ज़ है। "
अब आप ही डिसाइड करे की हमें क्या करना चाहिए ?
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