"और अल्लाह की रस्सी को मज़बूती से थाम लो और फिरको में न बांटो। " (अल -क़ुरआन )
ऐ अल्लाह ! इन ज़ुल्मतों में हम नूर चाहते है , तौबा अब तेरे हुज़ूर चाहते है।
लहू में अपने बहुत रंग चुके है , उजालो का अब ज़हूर चाहते है।
उदासियों के इस अजीब मौसम में , कोई खुशनुमा सुरूर चाहते है।
नफ़रतें बहुत बढ़ गई है हममे , जाना उनसे बहुत दूर चाहते है।
हमारे सारे आमाल तो तबाही है ,ज़हनो में थोड़ा शऊर चाहते है।
(आमीन )
ऐ अल्लाह ! इन ज़ुल्मतों में हम नूर चाहते है , तौबा अब तेरे हुज़ूर चाहते है।
लहू में अपने बहुत रंग चुके है , उजालो का अब ज़हूर चाहते है।
उदासियों के इस अजीब मौसम में , कोई खुशनुमा सुरूर चाहते है।
नफ़रतें बहुत बढ़ गई है हममे , जाना उनसे बहुत दूर चाहते है।
हमारे सारे आमाल तो तबाही है ,ज़हनो में थोड़ा शऊर चाहते है।
(आमीन )
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